सीएम अरविंद केजरीवाल ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, दिल्ली हाईकोर्ट के स्टे को दी चुनौती
Delhi CM Arvind Kejriwal Interim Bail: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के जमानत के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. अब इसके खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
Delhi CM Arvind Kejriwal Interim Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले और इससे संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत ने जमानत दे दी थी. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. अब इस अंतरिम रोक के खिलाफ दिल्ली के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
Delhi CM Arvind Kejriwal Interim Bail: अदालत ने अरविंद केजरीवाल को जारी किया था नोटिस
अरविंद केजरीवाल के वकील ने कंफर्म किया है कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सोमवार के लिए लिस्ट कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को 24 जून तक लिखित रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि वह दो-तीन दिन के लिए आदेश सुरक्षित रख रहा है, क्योंकि वह पूरे मामले के रिकार्ड का अवलोकन करना चाहता है. अदालत ने अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी कर ईडी की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत उन्हें जमानत दी गई थी. अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है.
Delhi CM Arvind Kejriwal Interim Bail: 21 मार्च को ईडी ने किया था गिरफ्तार
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. निचली अदालत ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी. उच्च न्यायालय की एक वेकेशन बेंच ने अरविंद केजरीवाल की जमानत के अंतरिम आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था, “इस आदेश तक, आक्षेपित आदेश का क्रियान्वयन स्थगित रहेगा.'
Delhi CM Arvind Kejriwal Interim Bail: अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दी थी ये दलील
ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने दलील दी कि निचली अदालत का आदेश "विकृत", "एकतरफा" और "गलत" था तथा निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे. उन्होंने दावा किया कि विशेष न्यायाधीश ने प्रासंगिक तथ्यों पर विचार नहीं किया. उन्होंने दलील दी, ‘निचली अदालत ने महत्वपूर्ण तथ्यों पर विचार नहीं किया। जमानत रद्द करने के लिए इससे बेहतर मामला नहीं हो सकता. इससे बड़ी विकृति नहीं हो सकती.’