भारत को 2022 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत से अधिक की दर से आगे बढ़ रही है और अगले 5-7 साल में भारत 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत से अधिक की दर से आगे बढ़ रही है और अगले 5-7 साल में भारत 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर के शिलान्यास के मौके पर कहा, 'भारत को 2022 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है. इसमें विनिर्माण और कृषि क्षेत्र से एक-एक हजार अरब डॉलर आएंगे.' 2006 में भारत की अर्थव्यवस्था 2300 अरब डॉलर थी.
उन्होंने कहा, 'आईटी और खुदरा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजन हुआ है. अस्सी प्रतिशत मोबाइल फोन अब देश में बनने लगे हैं. इससे विदेशी मुद्रा खर्च में तीन लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है.' तीन सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस सरकार के पास कड़े फैसले लेने का साहस है. उन्होंने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर से उद्योगों और स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा और इससे रोजगार के पांच लाख अवसर पैदा होंगे.
अभूतपूर्व विकास
पीएम मोदी ने कहा, 'इस सरकार ने देश के विकास के लिए अभूतपूर्व योजनाओं पर कार्य शुरू किया है. इस सरकार ने ही सबसे लंबी सुरंग बनाने का काम, सबसे लंबी गैस पाइपलाइन बिछाने का काम, समंदर पर सबसे लंबा पुल बनाने का काम और सबसे बड़ी मोबाइल मैन्युफेक्चरिंग युनिट बनाने का काम किया है.'
उन्होंने कहा, 'देश के हर गांव तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचने का काम चल रहा है. देश के हर गांव और हर परिवार तक बिजली पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है. सबसे बड़े वित्तीय समावेश का काम इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी के रूप में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार का काम, स्वच्छ भारत के रूप में सबसे बड़ा जन आंदोलन चलाने का काम और और अब देश और दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर स्कीम- आष्मान भारत का बीड़ा उठाने का काम इसी सरकार ने किया है.
कड़े फैसले लेने का साहस
उन्होंने कहा कि हम दुनिया में कहीं भी जाएं, अक्सर देखने को मिलता है कि छोटे-छोटे देश भी बड़ी-बड़ी कॉन्फ्रेंस रखने की क्षमता रखते हैं. इस तरह की आधुनिक व्यवस्थाओं के निर्माण की वजह से कई देश कॉन्फ्रेंस टूरिज्म के हब बने हैं, लेकिन हमारे यहां बरसों तक इस दिशा में सोचा ही नहीं गया. उन्होंने कहा, 'बड़ी-बड़ी कॉन्फ्रेंस को सिर्फ प्रगति मैदान जैसे कुछ एक सेंटरों तक ही सीमित कर दिया गया. अब ये सोच बदली है और इसी का परिणाम आज का ये आयोजन है.'
उन्होंने सरकारी क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय के बारे में कहा, 'करीब ढाई दशक पहले इसके बारे में कदम उठाने की बात शुरु हई थी. लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने का साहस नहीं जुटा पाए. लेकिन बीते 50 महीने इसके गवाह हैं कि ये सरकार राष्ट्रहित में लिए जाने वाले कठिन फैसले लेने में पीछे नहीं रहती.' उन्होंने कहा कि देश में पिछले चार वर्षों में उन्हीं संसाधनों, उन्हीं संसाधनों के रहते सरकार बेहतर काम इसलिए कर पाई क्योंकि राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखा गया, व्यवस्थाओं को सही दिशा की तरफ मोड़ा गया.