Coronavirus के कारण पूरी दुनिया में Lockdown है. इससे सबसे ज्‍यादा असर Financial market और तेल के बाजार पर पड़ा है. Crude Oil की कीमतें निगेटिव हो गई हैं. इसका कारण दुनियाभर में Petrol-Diesel की मांग में जबर्दस्‍त गिरावट है.

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इस बीच आपके फायदे की बात यह है कि कुछ महीनों तक Petrol और Diesel के रेट अंतरराष्‍ट्रीय कारणों से नहीं बढ़ने वाले. क्‍योंकि भारत ने करीब 3.20 करोड़ टन Crude oil खरीद लिया है, जो देश की सालाना खपत का तकरीबन 20 फीसद है. यानि करीब 3 महीने का सस्‍ते तेल का भंडार जुटा लिया गया है. बता दें कि 2018-19 में भारत में Crude की डिमांड बढ़कर 211.6 मिलियन टन सालाना हो गई थी. 

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के मुताबिक Crude सस्‍ता होने पर भारत ने अपने तेल भंडार, टैंकों, पाइपलाइनों और जलपोतों में 3 करोड़ 20 लाख टन कच्चे तेल को खरीदकर भर दिया है. बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Oil importer है. भारत पेट्रोलियम उत्पादों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत की भरपाई इम्‍पोर्ट से करता है. 

कोरोना के कहर के चलते तेल की आपूर्ति के मुकाबले मांग कम होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते सत्र में अमेरिकी क्रूड का भाव शून्य से नीचे चला गया था. अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई का मई डिलीवरी अनुबंध सोमवार को न्यूयार्क मकेर्टाइल इंडेक्स पर पिछले सत्र से 300 फीसदी ज्यादा की गिरावट के साथ शून्य से नीचे बंद हुआ था.

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प्रधान के मुताबिक भारत इस स्थिति का लाभ अपने तेल भंडारों को भरने में कर रहा है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल हो सके. भारत ने सऊदी अरब, यूएई और इराक से कच्चे तेल की खरीद की है जिससे 53.30 लाख भूमिगत भंडारों को भरने में मदद मिली है. वहीं 70 लाख टन तेल तैरते जलपोतों में रखा गया है. ढाई करोड़ टन तेल देश के भूक्षेत्र स्थिति डिपो और टैंकों, रिफाइनरी पाइपलाइनों और उत्पाद टैंकों में भरा गया है. 

यह तेल देश की कुल मांग का 20 प्रतिशत के बराबर है. भारत अपनी कुल जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है. उसकी तेल रिफाइनरियों में 65 दिन के कच्चे तेल का भंडार रखा जाता है.