Petrol-Diesel के दाम नहीं होंगे कम- वित्त मंत्री ने बताई इसके पीछे की कड़वी सच्चाई
Petrol-Diesel price update: साल 2013-14 में जारी किए गए ऑयल बॉन्ड के बदले उधार लेकर तेल की कीमतों को कम किया गया था. अब सरकार ऑयल बॉन्ड का ब्याज चुका रही है.
Petrol-Diesel Price update: पेट्रोल-डीजल की महंगाई के बीच लगातार इसमें कटौती की मांग बढ़ रही है. साथ ही GST में लाने की भी अक्सर चर्चा होती है. लेकिन, सरकार का ऐसा कोई मूड नहीं है. फिलहाल, पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel latest price) में कटौती नहीं होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने साफ कर दिया है कि सरकार फिलहाल तेल कीमतों में कोई कटौती नहीं कर सकती. उन्होंने इसके पीछे एक बड़ी वजह भी बताई है.
ऑयल बॉन्ड की वजह से नहीं कम हो सकती कीमतें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि UPA सरकार ने साल 2013-14 में तेल की कीमतों (Oil prices) को कम करने के उद्देश्य से तेल बॉन्ड जारी किए थे. लेकिन, इसका भुगतान मोदी सरकार कर रही है. UPA की ऑयल बॉन्ड (Oil bonds) शुरू करने की वजह से राजस्व पर बड़ा असर पड़ता है. सीतारमण ने कहा ऑयल बॉन्ड पर हर साल 10 हजार करोड़ का ब्याज चुकाना होता है. अगर ये पैसा हमारे हाथ में होता तो पेट्रोल-डीजल में राहत मिल सकती थी. वित्त मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार ने अब तक 60205.67 करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज के तौर पर अदा किए गए हैं. इसलिए तत्काल तेल की कीमतों में कटौती की कोई उम्मीद नहीं है.
2025-26 तक चुकाना है ऑयल बॉन्ड का पैसा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, मार्च 2021 तक ऑयल बॉन्ड का 130923.17 करोड़ रुपए का मूलधन बकाया है. साल 2025-26 तक इसके ब्याज का भुगतान करना है. उन्होंने कहा कि ऑयल बॉन्ड (Oil bonds impact on Petrol-Diesel price) का मकसद तेल की कीमतों को कम करना था. लेकिन, UPA सरकार ने इसका भार तेल कंपनियों पर डाल दिया. साल 2024-25 में 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान एक साल में करना होगा.
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उधार लेकर कम की गई थी कीमतें अब चुकाने का वक्त
कीमतों में कटौती को लेकर वित्त मंत्री ने कहा यह एक जटिल मुद्दा है और इसको पेट्रोलियम मंत्रालय देख रहा है. मोदी सरकार आने वाले समय में इसका बोझ किसी और सरकार पर नहीं डालना चाहती. UPA सरकार का बोझ मोदी सरकार ढो रही है और चुका रही है. उस वक्त UPA ने ऑयल बॉन्ड के जरिए उधार लेकर तेल की कीमतें कम कर दी थीं. साल 2014 में इसको लेकर श्वेत पत्र भी जारी किया गया था.