जरूरी चीजों की लिस्ट से बाहर हुए आलू, प्याज और अनाज, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल पास
नए संशोधन के तहत अब खाने-पीने के इन सामान के स्टॉक की लिमिट केवल राष्ट्रीय आपदाओं जैसे असाधारण हालात में ही लागू होंगे.
राज्यसभा ने आज अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज व आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने के प्रावधान वाले विधेयक (Essential Commodities Amendment Bill) को मंजूरी दी है. इस बिल को पिछले हफ्ते 15 सितंबर को लोकसभा में पारित किया गया था. यह बिल जून में लागू किए गए अध्यादेश की जगह लेगा है.
इस बिल के लागू होने के बाद अब अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू की स्टॉक लिमिट खत्म हो जाएगी. सरकार का दावा है कि इस फैसले से कृषि सेक्टर में प्राइवेट और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
इस संशोधित बिल में बताया गया है कि अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज अब जरूरी सामान नहीं होंगे. इन चीजों के उत्पादन, स्टोरेज, डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी कंट्रोल खत्म होगा. फूड सप्लाई चेन के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी. उपभोक्ताओं के लिए भी कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी. सब्जियों की कीमतें दोगुनी होने पर स्टॉक लिमिट लागू होगी.
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादराव ने कहा कि स्टॉक लिमिट के नियम कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में रुकावट थीं.
नए संशोधन के तहत अब खाने-पीने के इन सामान के स्टॉक की लिमिट केवल राष्ट्रीय आपदाओं जैसे असाधारण हालात में ही लागू होंगे. इस बिल में प्रोसेसर और मूल्य चेन प्रतिभागियों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई है. सब्जियों की कीमतें दोगुनी होने के हालात पर ही स्टॉक लिमिट लागू होगी.
दानवे रावसाहेब दादराव ने कहा कि इस कदम से कृषि सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और फसलों की कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए अधिक स्टोरेज क्षमता भी पैदा होगी. उन्होंने दावा किया कि यह संशोधन किसानों और कंज्यूमर्स, दोनों के पक्ष में है.
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इस बिल का मकसद निजी निवेशकों की कुछ आशंकाओं को दूर करना है. व्यापारियों को अपने कारोबार में ज्यादा कानूनी हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं.
बता दें कि यह वहीं तीसरा कृषि बिल है जिनका पंजाब-हरियाणा के किसानों समेत विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. कृषि से जुड़े दो बिल रविवार को ही पारित हो चुके हैं. इनमें कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 शामिल हैं.