पार्लियामेंट का होगा मेकओवर- 2022 में बदला हुआ नजर आएगा संसद भवन, जानिए क्यों?
बता दें कि हमारे देश के संसद भवन का उद्घाटन 1927 में हुआ था. संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रखकर किया गया था.
संसद भवन यानी पार्लियामेंट हाउस को बदलने की तैयारी शुरू हो गई है. चौंकिए नहीं, संसद भवन वही रहेगा लेकिन, उसकी रूपरेखा में बदलाव की तैयारी हो रही है. दरअसल, नया भवन बनाने की काफी समय से चर्चा है. हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी नए भवन की सिफारिश की थी. हाल ही में राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने भी इसकी जरूरत पर जोर दिया था. इससे पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी इस मुद्दे को उठा चुकी हैं. अब चर्चा है कि 2022 तक संसद भवन एकदम नया हो जाएगा. मोदी सरकार ने इस प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है.
नहीं मिटेगी सांस्कृतिक विरासत
बता दें कि हमारे देश के संसद भवन का उद्घाटन 1927 में हुआ था. संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रखकर किया गया था. इसी वजह से मौजूदा वक्त में संसद भवन का कूलिंग सिस्टम, मौजूदा शेप और स्थान पर्याप्त नहीं हैं. यही वजह है कि मोदी सरकार संसद भवन का रेनोवेशन कराने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, सांस्कृतिक विरासत को बचाते हुए संसद भवन का पुनर्निर्माण किया जाएगा.
2022 तक तैयार होगा भवन
सूत्रों के मुताबिक, आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 में पार्लियामेंट को नया स्वरूप देने पर फैसला ले लिया गया है. हालांकि, यह नए भवन के रूप में होगा या वर्तमान भवन को ही नया स्वरूप दिया जाएगा, इस पर फैसला होना बाकी है. लेकिन, इतना तय है कि 2022 में संसद का मानसून सत्र संसद के उस नए स्वरूप में ही आयोजित होगा.
कौन करेगा डिजाइन?
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार ने RFP यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी कर दिया है. इसके जरिए संभावित बिडर (आर्किटेक्ट या इंफ्रास्ट्रकचर कंपनी) को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. इसमें अभी यह देखा जा रहा है कि कौन सी कंपनी इसका डिजाइन तैयार करने के लिए सामने आती है.
नए भवन के लिए कंपनियां देंगी सुझाव
जानकारी के मुताबिक, 2 सितंबर को एक आरएफपी फ्लोट किया गया था. ताकि कोई भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां डिजाइन तैयार कर के दें. बताया जा रहा है कि पार्लियामेंट का पुनर्निर्माण किया जाए या उसके बगल में नया पार्लियामेंट बनाया जाए इन तमाम विकल्पों पर कंपनियां अपना सुझाव देंगी.
बैठने के लिए नहीं है जगह
आज की हालात यह है कि सांसदों, उनके पीएस या दूसरे अधिकारियों को बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है. इसके अलावा वो कंपनी ये भी स्टडी करके बताएगी कि क्या सभी मंत्रालयों के दफ्तर के लिए एक केंद्रीय सचिवालय बनाने की जरूरत है. इसके साथ ही सेंट्रल विस्टा यानी 3 किमी लंबी राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे रीस्ट्रक्टचरिंग किया जाए, इस पर विचार किया जा रहा है.
सभी मंत्रालयों का एक होगा डिजाइन
केंद्र सरकार सारे मंत्रालय एक जैसी डिजाइन की हो, इसकी व्यवस्था करने को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है. मोदी सरकार मुगलों और अंग्रेजों का बनाया हुआ लुटियंस जोन का कायाकल्प करने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, पुराने भवन भी मौजूद रहेंगे. लेकिन, उनका उपयोग कैसे हो, इस पर मंथन चल रहा है.