National Logistics Policy:  नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी हो गया है. विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (NMP) की शुरुआत की गई है.  पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है. इसका मुख्य जोर विभिन्न एजेंसियों की मौजूदा और प्रस्तावित इंफ्रास्ट्रक्चर पहलों को समेकित करना है ताकि लोगों और सामान की निर्बाध आवाजाही के लिए पहले और आखिरी छोर की कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सके.

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आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन पर नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को लॉन्च किया था. इस पॉलिसी से कारोबारों की लॉजिस्टिक लागत मौजूदा 13-14 फीसदी से घटकर एकल अंक में आने का अनुमान है. सरकार ने वर्ष 2020 के बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी की घोषणा की थी.

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP)- MapMyIndia समेत 10 कंपनियां ULIP डेटा के लिए Non Disclosure Agreement कर चुकी हैं.

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का उद्देश्य-

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का उद्देश्य का उद्देश्य प्रक्रिया के निर्बाध एकीकरण, डिजिटल प्रणाली, पॉलिसी/योजनाएं और इंटर मोडेलिटी, मल्टी मोडेलिटी को बढ़ावा देना. लॉजिस्टिक्स सेक्टर में वास्तविक एसेट्स, टेक्सोनोमी, सर्विस क्वालिटी मानकों की बेंचमार्किंग का मानकीकरण करना है.

इसके अलावा आईटी, उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर, ड्रोन के उपयोग, ऑटोमेशन, ग्रीन लॉजिस्टिक्स को अपनाने पर जोर देना और ग्लोबल ओरीजनल चेन के साथ एकीकरण करना है. ट्रांसपोर्टेशन, वेयरहाउसिंग, इन्वेंट्री मैनेजमेंट और रेगुलेटरी मामलों और ऑर्डर प्रोसेसिंग में दक्षता में सुधार करने वाले उपायों के माध्यम से लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी करने की योजना बनाई गई है.

160 अरब डॉलर का है लॉजिस्टिक्स बिजनेस

देश भर में 10 हजार से अधिक उत्पादों के लॉजिस्टिक कारोबार का आकार 160 अरब डॉलर है. इस क्षेत्र में 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है. मंत्रालय ने कहा है कि इस क्षेत्र की हालत बेहतर होने से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की बढ़ोतरी होगी.

लॉजिस्टिक क्षेत्र काफी जटिल है जिसमें 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 भागीदार सरकारी एजेंसियां और 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदें भी शामिल हैं. इसमें 200 जहाजरानी एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक सेवाएं, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो और बैंक एवं बीमा कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं.