भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा करते हुए ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है. आरबीआई के इस कदम पर अर्थजगत में मिलीजुली प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है. किसी ने इसे जीडीपी ग्रोथ के लिए अच्छी पहल बताया है तो किसी ने इसे महज खानापूर्ति बताया है.

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एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी का मानना है कि आरबीआई के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं होगा. 

ज़ी बिजनेस से खास बातचीत में उन्होंने कहा, 'आरबीआई ने अपनी पॉलिसी में कहा है कि आरबीआई ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव कर दिया है. लेकिन अकोमोडेटिव किस तरह किया है, उसका तरीका क्या होगा, यह साफ नहीं है. अकोमोडेटिव किस तरह किया है, इस बात की पुष्टि होनी चाहिए. क्या बाजार में ज्यादा कैश छोड़ा गया है?'

'सिर्फ कह देने से कोई अकोमोडेटिव नहीं हो सकता. यह तो उस तरह से है जैसे उम्मीद करना की आरबीआई के इस फैसले से अर्थव्यवस्था में ग्रोथ आ जाएगी.' 

 

एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि क्रेडिट पॉलिसी के अंदर जबतक ठोस फैसले नहीं होंगे, तब तक बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती. हमने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती पिछली बार भी की थी, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के विकास में कोई सुधार नहीं देखा गया था. उल्टा, ऑटो सेक्टर की डिमांड लगातार गिर रही है और एनबीएफसी सेक्टर के बारे में शीर्ष बैंक ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है. जबकि यह सेक्टर पूरे फाइनेंस सेक्टर की मजबूती के लिए बहुत अहम है. 

बता दें कि आज गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा की थी. शीर्ष बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है. इसके अलावा बैठक में कई अन्य अहम फैसले भी लिए गए.