इस मार्केटिंग ईयर चीनी उत्पादन में कमी की आशंका है. ऐसे में घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि चीनी निर्यात का कोटा अभी नहीं बढ़ाया जाएगा. यह जानकारी खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने दी. उन्होंने कहा कि इस मार्केटिंग ईयर (अक्टूबर 20220 से सितंबर 2023) में चीनी का उत्पादन कम होने की आशंका है. चीनी उत्पादन 5-6 लाख मिट्रिक टन कम रह सकता है. हालांकि, उत्पादन को लेकर असली स्थिति का अनुमान अगले 15 दिनों में लगेगा. सरकार को उम्मीद है कि इस मार्केटिंग ईयर में चीनी का कुल उत्पादन 386-390 लाख मिट्रिक टन रह सकता है. 

निर्यात कोटा बढ़ाने का फिलहाल विचार नहीं

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खाद्य सचिव ने कहा कि उत्पादन कितना कम हो सकता है, इसके लिए दो हफ्ते का इंतजार करना होगा. अगर जरूरत हुई तो इथेनॉल के लिए जो शुगर का डायवर्जन किया जा रहा है, उसे कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चीनी निर्यात को लेकर फिलहाल कोटा समीक्षा की कोई तैयारी नहीं है. सरकार का मकसद घरेलू खपत को पूरा करना और रीटेल में कीमत को कंट्रोल में रखना है. इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

पहली छमाही में शुगर प्रोडक्शन घटा

बता दें कि सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2022-23 के पहले छह महीनों में भारत का चीनी उत्पादन तीन फीसदी घटकर 299.6 लाख टन रह गया है. चीनी मिलों के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने यह जानकारी दी है. चीनी उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि में 309.9 लाख टन हुआ था. चीनी मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन अक्टूबर, 2022 से मार्च, 2023 की अवधि में बढ़कर 89 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 87.5 लाख टन था. 

गेहूं के फसल को नुकसान कम, क्वॉलिटी में गिरावट संभव

खाद्य सचिव ने बेमौसम बारिश के कारण गेहूं के फसल के नुकसान को लेकर कृषि मंत्रालय के साथ बैठक की थी. कृषि मंत्रालय गेहूं को हुए नुकसान का आंकलन  कर रहा है. माना जा रहा है कि इस बारिश के कारण यील्ड पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. उत्पादन में कमी पहुत कम रहने की संभावना है. हालांकि, गेहूं की क्वॉलिटी घट सकती है. उन्होंने कहा  कि सरकार कुछ राज्यों में सरकारी खरीद के नियमों ढील दे सकती है. अब तक सरकार 2.5-3 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीद चुकी है.

Edible Oil ड्यूटी पर फिलहाल रिवीजन नहीं

खाने के तेल को लेकर खाद्य सचिव ने कहा कि फिलहाल Edible Oil पर लगने वाली ड्यूटी के रिवीजन को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है. किसी भी तेल की कीमतों में कोई खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है. 

 

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