वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) को लेकर सरकार लगातार बदलाव कर रही है. हर बार टैक्स स्लैब (tax slabs) में फेरबदल किए जाते हैं. इन बदलावों पर नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि जीएसटी के तहत सिर्फ दो स्लैब होने चाहिए और जीएसटी की दरों में बार-बार बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. जरूरत होने पर जीएसटी की दरों में सालाना आधार पर बदलाव किया जाना चाहिए.

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रमेश चंद ने कहा कि जब भी कोई बड़ा टैक्स सिस्टम सुधार लाया जाता है, तो शुरुआत में उसमें समस्या आती है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों में जीएसटी को स्थिर होने में समय लगा.

उन्होंने कहा कि हर सेक्टर जीएसटी की दर कम करने की मांग करता है. यह उनकी आदत सी बन गई है. उन्होंने कहा कि हम बार-बार दरों में बदलाव नहीं करना चाहिए. सरकार को अधिक दरें नहीं रखनी चाहिए, सिर्फ दो दरें होनी चाहिए.

अब तक कई बार बदलाव

बता दें कि जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. सभी अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित हो गए. उस समय से जीएसटी की दरों में कई बार बदलाव किया जा चुका है. अभी जीएसटी के तहत चार स्लैब....5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं.

कई उत्पाद ऐसे हैं जिनपर जीएसटी नहीं लगता. वहीं पांचे ऐसे उत्पाद हैं जिनपर जीएसटी के अलावा उपकर भी लगता है.

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केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दर तय करती है. सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी परिषद के सदस्य हैं. जहां विभिन्न उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी की दर घटाने की मांग बार-बार उठती है वहीं कर के स्लैब घटाने की बात भी की जाती है.

घट सकती हैं जीएसटी की स्लैब

उधर, जानकारी मिली है कि सरकार जीएसटी स्लैब की संख्या 4 से घटाकर 3 करने पर विचार कर सकती है. जीएसटी दरों में बदलाव का भी प्रस्ताव है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीएसटी पर केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की समिति ने सिफारिश की है कि 10 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के स्लैब बनाए जा सकते हैं, या फिर 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल कुछ वस्तुओं को फिर से 28 प्रतिशत के स्लैब में डाल देना चाहिए.