नीति आयोग को सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) की गैर- प्रमुख संपत्तियों की सूची बनाने का काम दिया गया है. इस सूची में मजबूत और खराब स्थिति वाली दोनों तरह के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संपत्तियां शामिल होंगी. वित्त मंत्रालय इन कंपनियों की गैर- प्रमुख संपत्तियों को बेचकर उनके शेयरधारकों को लाभ पहुंचाने का काम करेगा. इस दिशा में यह पहला कदम होगा. 

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सीपीएसई की गैर-प्रमुख संपत्तियों के मौद्रिकरण (बेचने) के लिए प्रक्रिया और तंत्र स्थापित करने की सरकार की योजना का हिस्सा है. इन संपत्तियों में मुख्यत: जमीन और इमारत शामिल हैं. 

नीति आयोग सीपीएसई की स्वामित्व वाली गैर-प्रमुख संपत्तियों की सूची बनाएगा. इन संपत्तियों को सलाहकार समूह के साथ चर्चा के बाद अलग से बेचा जा सकता है. इस समूह में संबंधित मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के अधिकारी शामिल होंगे.

नीति आयोग की रिपोर्ट को विनिवेश पर वैकल्पिक तंत्र समिति के सामने रखा जाएगा. इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे. जिसके बाद संबंधित मंत्रालय और सीपीएसई मौद्रिकरण प्रक्रिया पर आगे बढ़ेंगे.

अब तक विनिवेश प्रक्रिया कॉर्पोरेट स्तर पर ही समिति थी. अब यह प्रक्रिया एक पायदान और आगे बढ़ेगी और सीपीएसई की गैर-प्रमुख संपत्तियों के मौद्रिकरण की दिशा में बढ़ेगी. इससे पूंजी जुटाने और शेयरधारकों को लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी. 

नीति आयोग को 2016 में भी सीपीएसई की सूची तैयार करने के लिए कहा गया था, जिन्हें रणनीतिक बिक्री के लिए भेजा जा सकता है. उसने पहले से ही लगभग 35 सीपीएसई की पहचान की है जिन्हें बिक्री के लिये रखा जा सकता है. 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत सप्ताह ही रणनीतिक विनिवेश के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) की चिंहित गैर प्रमुख संपत्तियों और शत्रु संपत्ति संरक्षक के अधीन आने वाली अचल शत्रु संपत्ति के मौद्रिकरण के लिए संस्‍थागत व्‍यवस्‍था तैयार करने को मंजूरी दे दी.

दीपम ने संबंधित मंत्रालय और सीपीएसई से विचार-विमर्श के बाद नौ सार्वजनिक कंपनियों की जमीनों और अन्य संपत्तियों की पहचान की है. जिन्हें कंपनियों की रणनीतिक बिक्री से पहले अलग कर लिया जाएगा. 

जिन नौ कंपनियों की गैर-प्रमुख संपत्तियों की पहचान की गई है, उनमें पवन हंस, स्कूटर्स इंडिया, एयर इंडिया, भारत पम्पस एंड कंप्रेशर्स, प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, ब्रिज एंड रूफ कंपनी और हिंदुस्तान फ्लूरोकार्बन्स शामिल हैं.