नीति आयोग का हो सकता है 'मेकओवर', लोकसभा चुनाव के बाद आएगा 2.0 वर्जन!
अगले महीने से नीति आयोग अपने कामकाम के तरीके में बदलाव कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग ने अपने वर्जन 2.0 के लिए मंथन शुरू कर दिया है.
चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होगा. नई सरकार तय करेगी कि आगे भारत की ग्रोथ रफ्तार कैसे बढ़ाई जाए. साथ ही आंतरिक पॉलिसी को लेकर भी कई अहम फैसले होंगे. लेकिन, इन सबके बीच आर्थिक नीतियों पर सिफारिशें देने वाले नीति आयोग का नया वर्जन 2.0 आ सकता है. अगले महीने से नीति आयोग अपने कामकाम के तरीके में बदलाव कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग ने अपने वर्जन 2.0 के लिए मंथन शुरू कर दिया है. एक आंतरिक बैठक में जनवरी 2015 को आयोग के गठन के बाद किए गए कार्यों की समीक्षा की गई है.
आगे की प्लानिंग होगी तय
नीति आयोग की अहम बैठक में संस्था को मजबूत करने और नीतिगत मोर्चे पर की जाने वाली सिफारिशों को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए इस पर चर्चा की गई. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, नीति आयोग नई सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री को प्रेजेंटशन दे सकता है. प्रेजेंटेशन का उद्देश्य यही होगा कि आयोग को सटीक और दमदार कैसे बनाया जाए.
फंड मांग सकता है नीति आयोग
सूत्रों की मानें तो नीति आयोग अपने पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए फंड की भी मांग कर सकता है. नई सरकार के गठन के बाद नीति आयोग 3-5 साल के लिए एकमुश्त बजट की मांग कर सकता है. एक सरकारी वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, आयोग ने फंड के लिए मंत्रालयों से संपर्क किया है. लेकिन, फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. मंत्रलय भी अपने प्लान के मुताबिक ही फंड जारी करने कर सकते हैं.
सेक्टर्स को सुधारने की जरूरत
इकनॉमिक टाइम्स को एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैठक में इस बात पर जोर रहा कि पायलट प्रोजेक्ट्स पर काम करने में दिक्कत सिर्फ फंड की वजह से होती है. साथ ही एजुकेशन और टूरिज्म जैसे सेक्टर्स में कुशल लोगों की कमी है. पदों पर होने वाली सिविल सर्वेंट्स की नियुक्ति रैडम तरीके से की जाती है. उन्हें सेक्टर्स की खास जानकारी नहीं होने के कारण दोनों सेक्टर्स को प्रोमोट करने में दिक्कत होती है.
चुनौतियों पर भी हुई बात
नीति आयोग की बैठक में लक्ष्य हासिल करने में आने वाली चुनौतियों पर भी बातचीत हुई. बैठक में शामिल अधिकारियों ने माना कि तय लक्ष्यों को हासिल करने की चुनौतियों पर पहले से चर्चा होनी चाहिए. साथ ही पीएम मोदी के साथ नीति आयोग के उपाध्यक्ष का लगातार संपर्क रहना चाहिए. हाल ही में वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन विजय केलकर ने भी सुझाव दिया था कि आयोग को फाइनेंशियल पावर मिलनी चाहिएं. इससे तालमेल बेहतर होगा और अंसतुलन को दूर किया जा सकेगा. आ
प्लानिंग कमीशन खत्म करके बना था नीति आयोग
पिछले कुछ समय से नीति आयोग को लेकर काफी चर्चा चल रही है. प्लानिंग कमीशन को खत्म करके नीति आयोग का गठन किया गया था. लेकिन, विपक्ष ने इसकी आलोचना की और सिर्फ आंकड़ों में हेरफेर को करने की संस्था तक करार दिया. आपको बता दें, मार्चे के पहले हफ्ते में आयोग की बैठक मोहाली में आयोजित हुई थी. बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत सहित 25 अधिकारियों के अलावा 3-4 लैटरल एंट्री के अफसरों ने भी शिरकत की थी.