भारत के विकास की गाड़ी दौड़ती रहेगी, FY2023 में ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान- सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक के कार्यक्रम में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का ग्रोथ रेट 7 फीसदी रह सकता है. भारत के ग्रोथ की गाड़ी दौड़ती रहेगी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund) और विश्व बैंक के 2023 में भारत के सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के अनुमानों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( FM Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कायम रहेगी. वर्ष 2022-23 में इसकी वृद्धि दर सात फीसदी रहने की संभावना है. सीतारमण ने कहा कि संरचनात्मक सुधारों पर सरकार के ध्यान के साथ-साथ एक अनुकूल घरेलू नीति परिवेश ने भारत में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को मजबूत बनाए रखा है.
FY2023 में ग्रोथ रेट 7 फीसदी का अनुमान
उन्होंने कहा कि आईएमएफ और विश्व बैंक, दोनों ने भारत के 2023 में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान लगाया है. भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की गति कायम रहेगी और आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, इसके 2022-23 में सात फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान है.
डिजिटाइजेशन का हुआ है फायदा
वित्त मंत्रालय ने कई ट्वीट कर इस बैठक में निर्मला सीतारमण के संबोधन के बारे में जानकारी दी. इसके मुताबिक, सीतारमण ने महामारी से मिले इस सबक पर रोशनी डाली कि डिजिटलीकरण, खासकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक उत्प्रेरक रहा है और भारत के डीपीआई ने किस तरह से पहुंच में क्रांति ला दी है और एक जीवंत उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है.
कमजोर देशों को होगा फायदा
सीतारमण ने वैश्विक सरकारी कर्ज गोलमेज सम्मेलन (जीएसडीआर) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने अन्य कमजोर देशों के लिए बहु-हितधारक सहयोग के साथ रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने का प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही श्रीलंका और सूरीनाम के लिए समाधान प्रदान करने वाली टीम का हिस्सा बनकर भारत खुश है.
G-20 देशों का आपसी प्रयास जारी रहे
सीतारमण ने वैश्विक चुनौतियों को कम करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर समाधान तलाशने की प्रतिबद्धता दोहराई. ये चुनौतियां सबसे गरीब और कमजोर देशों को असमान रूप से नुकसान पहुंचाती हैं. उन्होंने सभी जी-20 सदस्यों से बहुपक्षीय प्रयासों का समर्थन जारी रखने का आग्रह किया और वैश्विक विखंडन की चुनौती से लड़ने के लिए सकारात्मक संवाद में संलग्नता पर जोर दिया.