ग्लोबल बैंकिंग क्राइसिस के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रमुखों संग अहम बैठक की. इस बैठक में सरकारी बैंकों की वित्तीय सेहत  पर रिव्यू किया गया. बैठक के दौरान पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रमुखों संग इस मुद्दे पर ओपन चर्चा हुई. बता दें कि सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के बाद यूरोप और अमेरिका में बैंकिंग क्राइसिस की शुरुआत हो चुकी है.

बैंकिंग क्राइसिस का कितना और कैसा असर हो सकता है?

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इस बैठक में वित्त मंत्री ने यह जानने की भी कोशिश की कि यूरोप और अमेरिका के क्राइसिस वाले बैंकों को लेकर इनका एक्सपोजर कितना है. ग्लोबल बैंकिंग क्राइसिस का शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म असर कितना पड़ सकता है. वित्त मंत्री PSB प्रमुखों से कहा कि वे रेग्युलेशन के पैमाने पर खड़े उतरें. इसके अलावा रिस्क मैनेजमेंट और असेट एंड डिपॉजिट्स का डायवर्सिफिकेशन हेल्दी होना चाहिए.

सभी PSB मजबूत स्थितियों में

पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रमुखों ने वित्त मंत्री को यह सुनिश्चित किया कि रेग्युलेशन को लेकर कोई शिकायत नहीं है. गवर्नेंस को लेकर बेस्ट प्रैक्टिस अपनाई जा रही है. लिक्विडिटी मैनेजमेंट हेल्दी है. फिलहाल सारा फोकस असेट लाएबिलिटी और रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर करने पर है.

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