1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी के लक्ष्य रख कर भारत आगे बढ़ रहा है, डिजिटल इंडिया में ऑनलाइन स्पेस को पारदर्शी बनाने की जरूरत है. सरकार का उद्देश्य इंटरनेट को सबके लिए सुरक्षित बनाना है. इसके साथ ही ऑनलाइन दुनिया में उपस्थित सभी को अपनी जिम्मेदारी का पूरा एहसास कराना भी है. 

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Algorithm की दुहाई देकर लगातार मनमानी करती आ रही Big Tech कंपनियों पर अब सख्ती जरूरी होती दिख रही है. कंपनियां यूजर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने नहीं दिया जा सकता. मनमाने ढंग से काम करते हुए किसी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रोकना और बिना वजह आजादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती. ऐसे में सरकार भी जल्द आईटी नियमों में बदलाव को लागू कर सकती है. 

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Algorithm की आड़ में मनमानी 

- Big Tech अपनी मर्जी से पोस्ट के साथ खिलवाड़ करते हैं 

- डिजिटल यूजर्स को डाउन या डी-प्लेटफॉर्म करने का मेकानिज्म नहीं 

- पब्लिक करना होगा Algorithm 

- निजता की दुहाई देकर First Originator को छिपाना जुर्म 

- भारतीय कानून पालन करना होगा 

नए नियम क्यों जरूरी? 

- काफी पुराना, अब बदलाव जरूरी

- रोज बदलती ऑनलाइन दुनिया के लिए नियम में भी बदलाव जरूरी 

- हर डिजिटल नागरिक को पारदर्शिता के साथ मौका 

- आर्टिकल 14,19,21 के उल्लंघन की इजाजत नहीं 

- दोहरे मापदंड को रोकने के लिए 

- Big Tech को जिम्मेदार बनाना जरूरी 

- Safe & Trusted इन्टरनेट के लिए 

साइबर Ecosystem को सुरक्षित करने के लिए

भारत दुनिया का तीसरा देश जहां साइबर हमले सबसे ज्यादा होते हैं. 2020 में भारत में 11.6 लाख साइबर हमले हुए, और 2021 में करीब 14 लाख. ऑनलाइन बैंकिंग हो, ई-कॉमर्स हो या इंटरनेट पर अपने प्रियजनों के साथ चैट करना, सभी के लिए एन्क्रिप्शन जरूरी है ताकि लोगों की प्राइवेसी और सुरक्षा सुनिश्चित हो. इससे हम हैकिंग, सर्विलांस और जासूसी जैसे खतरों से भी बच पाएंगे. 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी वाले लक्ष्य की प्राप्ति के लिए साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए व्यापक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क सबसे बड़ी जरूरत.  

डिजिटल दुनिया जिम्मेदार और सुरक्षित बने 

- इंटरनेट को रेगुलेट करना 

- इंटरमीडियरीज़ की जवाबदेही

- प्रिंसिपल बेस्ड रेगुलेटरी नजरिया