GST: पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की जीएसटी (GST) व्यवस्था बहुत जटिल है और 2017 में शुरू किए गए इस सबसे बड़े इनडायरेक्ट टैक्स सुधार को आसान  बनाने की जरूरत है. उन्होंने यहां सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, GST व्यवस्था बहुत जटिल है. इसमें 50 (विभिन्न) सेस रेट्स हैं और अगर मैं अन्य चीजों पर गौर करूं तो यह 100 दरों तक जा सकती है.

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अन्य चुनौतियों के बारे में बात करते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) ने अत्यधिक कर मांग को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रणाली में अत्यधिक टैक्स और उसकी मांग हमेशा से ही मौजूद रही है, लेकिन जीएसटी के तहत इसमें बढ़ोतरी हुई है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

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दरों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी (GST) को आसान बनाने और राजस्व बढ़ाने की जरूरत है. जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 को ‘एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार’ की शुरुआत के रूप में लागू किया गया था. इसमें कम से कम 16 इनडायरेक्ट टैक्स और सेस को शामिल कर दिया गया, जो पहले भारत में केन्द्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रशासित होते थे, जिसके परिणामस्वरूप एक बहुत ही युक्तिसंगत टैक्सेशन स्ट्रक्चर तैयार हुई.