मूडीज ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में सुस्ती को अस्थाई बताया. मूडीज ऐनालिटिक के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ रेट में जो गिरावट रही वह अस्थाई है. बीते दिनों सरकार की तरफ से जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा जारी किया गया था. इसके मुताबिक, तीसरी तिमाही का ग्रोथ रेट 4.4 फीसदी रहा जो तीन तिमाही में सबसे कम है. इस गिरावट का कारण पर्सनल एक्सपेंडिचर में गिरावट और मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में नरमी रहा.

मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी की रफ्तार में गिरावट आई

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चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 1.1 फीसदी की गिरावट आई, जबकि निजी उपभोग की रफ्तार भी सुस्त पड़कर 2.1 फीसदी रह गई. मूडीज ने इस रिपोर्ट में कहा है कि सालाना आधार पर वृद्धि में उल्लेखनीय कमी आई है. 2021 की दूसरी तिमाही में जब कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा था उसके बाद से यह पहली बार है जब पर्सनल एक्सपेंडिचर की वजह से पूरी GDP की रफ्तार मंद पड़ी है.

मांग संबंधी दबाव दूर होगा

इसमें कहा गया, ‘‘हमारा मानना है कि बीते वर्ष के आखिरी में रफ्तार का कम होना अस्थायी है, बल्कि कुछ हद तक लाभदायक भी होगा. क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था के पूरी तरह से रुके बिना मांग संबंधी दबाव दूर होने में मदद मिलेगी. अमेरिका और यूरोप में शुरुआती पुनरुद्धार में बेहतर वृद्धि का लाभ भी साल के मध्य में भारत को मिलेगा.''

अगले वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान बढ़ाया

वैसे मूडीज ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. पहले उसका अनुमान 7.4 फीसदी का था. हालांकि, अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए ग्रोथ रेट के अनुमान को 4.8 फीसदी से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया गया है.

(भाषा इनपुट के साथ)