इंश्योरेंस सेक्टर में बढ़ सकता है विदेशी निवेश, बजट में हो सकता है ऐलान
केंद्र सरकार आगामी बजट (Budget) सत्र के दौरान इंश्योरेंस में फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट की दर 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 फीसदी कर सकती है.
इंश्योरेंस सेक्टर (Insurance sector) के दिन बदलने वाले हैं. सरकार (Modi Government) बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (Foreign direct investment) को बढ़ा सकती है. मोदी सरकार अगले साल फरवरी में पेश होने वाले बजट में निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट) बढ़ाने का ऐलान कर सकती है. इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ाने की मांग लंबे समय से होती आ रही है.
74 प्रतिशत तक FDI बढ़ने की उम्मीद
वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार आगामी बजट (Budget) सत्र के दौरान इंश्योरेंस में फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट (FDI) की दर 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 फीसदी कर सकती है. इस बारे में सरकार ने IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटर) से पूछा है कि इस इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ाने की क्या संभावना है. सरकार ने एफडीआई की लिमिट बढ़ाने से संबंधित राय मांगी है.
विदेशी कंपनियों के पास होगा मालिकाना हक
जानकारी के मुताबिक, अगर इश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की दर बढ़ाई जाती है तो बीमा कंपनी पर मालिकाना हक भारतीयों के पास नहीं होगा. सरकार इस पक्ष में है कि अगर विदेशी निवेश 74 प्रतिशत होने पर भारतीयों तक ही मालिकाना हक वाले नियम को हटाया जाए.
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100 फीसदी FDI के पक्ष में बीमा कंपनियां
केंद्र सरकार ने साल 2015 में इंश्योरेंस सेक्टर विदेशी निवेश (FDI) की लिमिट 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी की थी. सरकार को उम्मीद थी कि इस कदम से इंश्योरेंस सेक्टर में तेजी आएगी. लेकिन घरेलू कंपनियों के पास पैसे के अभाव अभी भी है. यही वजह है कि इंश्योरेंस सेक्टर में मंदी छाई हुई है. पिछले कई सालों सें इस सेक्टर की कंपनियां सौ फीसदी तक एफडीआई (FDI) की मांग कर रही है. नई पूंजी मिलने पर इंश्योरेंस सेक्टर की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी.
फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट
किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट) कहलाता है. ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है. आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है. इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है.