महंगी होने वाली है रसोई गैस, बढ़ेंगे CNG के दाम, सरकार के इस फैसले का होगा असर
सरकार ने डोमेस्टिक नैचुरल (प्राकृतिक) गैस की कीमतों में 10 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है.
1 अप्रैल के बाद हो सकता है आपकी जेब पर बोझ बढ़ जाए. आने वाले दिनों में रसोई गैस महंगी हो सकती है. इसके अलावा CNG के दाम में भी इजाफा किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो रसोई गैस के साथ-साथ ऑटो के किराए में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. दरअसल,सरकार ने डोमेस्टिक नैचुरल (प्राकृतिक) गैस की कीमतों में 10 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल-सितंबर के लिए नैचुरल गैस की कीमत $3.36/MMBtu से बढ़कर $3.69/MMBtu तय की गई है. यह कीमत अक्टूबर 2015 से मार्च 2016 के बाद सबसे अधिक है.
1 अप्रैल से लागू होंगी कीमतें
सरकार की तरफ से बढ़ाई गई नैचुरल गैस की नई कीमतें 1 अप्रैल 2019 से लागू हो जाएंगी. इसके बाद रसोई गैस (PNG) और CNG के दाम में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है. आपको बता दें, नई डोमेस्टिक गैस पॉलिसी 2014 के मुताबिक, नैचुरल गैस की कीमतें हर 6 महीने पर तय होती हैं. इससे पहले सरकार ने 1 अक्तूबर, 2018 को प्राकृतिक गैस की कीमत 3.06 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़ाकर 3.36 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की गई थी.
क्या होगा आपकी जेब पर असर
प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने से भले ही बड़ी कंपनियों को लाभ होगा, लेकिन आम लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ेगा. प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से सीएनजी के दाम बढ़ेंगे जिससे वाहनों को चलाना महंगा हो जाएगा. सूत्रों की मानें तो इसकी कीमतों में 3 रुपए तक इजाफा हो सकता है. वहीं, घरों में खाना बनाने के लिए आपूर्ति होने वाली पीएनजी गैस के दाम भी बढ़ जाएंगे.
कंपनियों को होगा फायदा
सरकार के इस कदम से ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी गैस उत्पादक कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा. प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से ओएनजीसी जैसी गैस उत्पादकों को मुनाफा होगा. गैस की कीमत में हर डॉलर की वृद्धि से ओएनजीसी को सालाना आधार पर 4,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा. सूत्रों के मुताबिक, ओएनजीसी देश का सबसे बड़ा गैस उत्पादक है. उसकी प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता 7 करोड़ से अधिक मानक घन मीटर की दो-तिहाई है.
बढ़ सकती है मैन्युफैक्चरिंग लागत
रेटिंग एजेंसी केयर की ओर से जारी रिपोर्ट में गैसी कीमतें बढ़ने की आशंका लगाई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की कीमतें बढ़ाने से यूरिया और पेट्रोकेमिकल की मैन्युफैक्चरिंग की लागत भी बढ़ा सकती है. क्योंकि, ये इंडस्ट्री प्राकृतिक गैस फीडस्टॉक के तौर पर इस्तेमाल करती है. साथ ही बिजली बनाने और स्पंज आयरन फैक्ट्री वालों को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि वहां प्राकृतिक गैस एनर्जी जनरेशन के लिए इस्तेमाल होती है.