सरकार ने भारत को न्यू इंडिया बनाने का खाका तैयार कर लिया है. इसके लिए जिन क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया जाना है उन्हें चिन्हित कर लिया है. नीति आयोग ने इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए चार स्तंभ तैयार करके उनकी मजबूत बुनियाद रख दी है.

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मार्केट विशेषज्ञ केंद्र की मोदी सरकार की प्लानिंग को देश के विकास के लिए ठोस उपाय मान रहे हैं. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह का कहना है कि न्यू इंडिया के लिए मोदी सरकार ने जो मजबूत खाका तैयार किया है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि अगले पांच वर्षों में देश की तस्वीर बदल सकती है. लेकिन सरकार का लक्ष्य सिर्फ विकास का लक्ष्य सुनिश्चित करना नहीं होना बल्कि, लंबी अवधि के लिए स्थाई विकास की बुनियाद रखनी चाहिए.

अतीत में देखें तो उद्यमशीलता की मजबूत परंपरा के बावजूद भारत का आर्थिक विकास कई एशियाई देशों की तुलना में पिछड़ गया है. ये देश बहुत ही समान आर्थिक मॉडल को अपना कर तेजी से आगे बढ़े हैं. यह मॉडल बुनियादी ढांचे के विकास के साथ निर्यात आधारित था. इसके जरिए पूंजी निर्माण और बचत दर में तेज वृद्धि हुई. इससे जो बड़ी आबादी कृषि कार्य में लगी हुई थी वह मुख्य रूप से विनिर्माण कार्य में शिफ्ट हो गई. इस बदलाव से उत्पादकता में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और विकास का अच्छा चक्र बना. 

केंद्र की मोदी सरकार अप्रत्याशित रूप से अब तेज एवं स्थाई विकास के लिए इसी मॉडल को प्रेरित कर रही है. 

विकास का मूल मंत्र

कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह कहते हैं कि नीति आयोग ने न्यू इंडिया के निर्माण के लिए उस कठिन कार्य की पहचान कर ली है जिसकी जरूरत थी. आयोग ने अलग-अलग 41 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर वर्तमान स्थिति का आकलन किया है. मोटे तौर पर इन्हें उच्च विकास दर हासिल करने, बुनियादी ढांचे का समावेशी विकास और संचालन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.

राजीव सिंह आयोग ने विकास के उन प्रमुख चालकों को चिन्हित किया है जो न्यू इंडिया के लिए शीर्ष स्तंभ हैं. सबसे पहले सकल स्थिर पूंजी निर्माण की दर को जीडीपी के 29 फीसद से बढ़ाकर वर्ष 2022-23 तक 36 फीसदी करना. इसके जरिए ही आठ फीसद की उच्च आर्थिक वृद्धि दर संभव हो सकेगी. इसे हासिल करने के लिए बचत दर में वृद्धि करने की जरूरत है. इसी परिप्रेक्ष्य में नीति आयोग ने सार्वजनिक वित्त की प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचान की है, जिसमें सुधार की जरूरत है. इसके लिए कर आधार में वृद्धि और सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश पर जोर दिया गया है. इसमें कुछ उपक्रमों के निजीकरण का प्रस्ताव भी शामिल है.

कृषि क्षेत्र पर फोकस

देश का कृषि क्षेत्र विकास का दूसरा बड़ा चालक है जो देश के 50 फीसद श्रम बल की रोजी-रोटी का जरिया है. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ कहते हैं कि भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि है. इस क्षेत्र में कृषि प्रौद्योगिकी, दक्षता और फसलों के विविधीकरण से पैदावार में वृद्धि की जा सकती है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित करके किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है. इसके लिए नीति आयोग ने ई-राष्ट्रीय बाजार (ई-नाम), कृषि मंडी समिति कानून (एपीएमसी) में सुधार और कृषि उत्पादन और पशुधन विपणन (एपीएलएम) के जरिए किसानों को कृषि उत्पादकों के रूप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव किया है. इसके साथ ही जीरो बजट प्राकृतिक खेती की पहचान की गई है ताकि पैदावार को बढ़ावा दिया जा सके. इस पहल के जरिए किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिले.

रोजगार की पहल

राजीव सिंह रोजगार पर जोर देते हुए कहते हैं कि सरकार ने रोजगार के अवसरों में वृद्धि को विकास के चालक के रूप में चिन्हित किया है. रोजगार की उच्च वृद्धि दर से बचत को बढ़ावा मिल सकता है जो सकल स्थिर पूंजी निर्माण की दर को बढ़ाने में मदद करती है जिससे रोजगार सृजन में पुन: वृद्धि होती है. इस प्रक्रिया से विकास का एक मजबूत ‘चक्र’ बनता है. पूंजीगत व्यय में वृद्धि और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से देश के कार्यबल को कृषि क्षेत्र से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सकता है लेकिन इस राह में आने वाली कुछ बाधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है. 

बुनियादी क्षेत्र का विकास

बुनियादी क्षेत्र को राजीव सिंह न्यू इंडिया के लिए दूसरा स्तंभ मानते हैं. वह कहते हैं कि बुनियादी क्षेत्र अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक है. इसमें रेलवे, सड़क, जलमार्ग, बंदरगाह, ऊर्जा और नागरिक उड्डयन शामिल हैं. इस क्षेत्र में सुधार से बेहतर कनेक्टिविटी गरीब भूमि वाले राज्यों के औद्योगिकीरण में मदद होगी जिससे देश में क्षेत्रीय असमानताएं दूर होंगी. देश में नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से देश में प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. 

इसके साथ ही डिजिटल कनेक्टिविटी भी बुनियादी ढांचे के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारतनेट के जरिए ई गवन्रेस को बढ़ावा दिया जा सकता है. 

वित्तीय समावेशन

वित्तीय समावेशन न्यू इंडिया का तीसरा स्तंभ है. कुशल श्रम शक्ति के लिए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार सरकार की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए. इससे वंचित समूहों को मुख्यधारा में शामिल होने में मदद मिलेगी. कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय होने चाहिए. इस पहल से आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिल सकती है. गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए आयुष्मान भारत एक अच्छी शुरुआत है. यदि सरकार इन बिंदुओं पर गौर करेगी तो निश्चित रूप से सफलता मिलने लगेगी. इससे शहरीकरण बढ़ने की संभवाना है. 

इस तरह ये तमाम उपाय सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल हैं. इस दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है. इस आधार पर भारत अगले एक दशक में भारत न्यू इंडिया बन सकता है.

(लेखक राजीव सिंह, कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के CEO हैं.)