देश के पूर्व मुख्‍य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को एक ऐसा क्रूर फैसला बताया है, जिसके चलते देश को एक बड़ा मौद्रिक झटका लगा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण सात तिमाहियों में अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 6.8 फीसदी पर आ गई थी, जो नोटबंदी से पहले आठ फीसदी थी. सुब्रमण्यन नोटबंदी के वक्त सरकार के आर्थिक सलाहकार थे. 

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सुब्रमण्यन ने अपनी किताब 'ऑफ काउंसिल: द चैलेंज ऑफ द मोदी-जेटली इकॉनॉमी' में एक अध्याय नोटबंदी के बारे में लिखा है. उन्होंने लिखा, 'नोटबंदी के ज़रिए बाजार से 86% मुद्रा हटा ली गई. इससे जीडीपी प्रभावित हुई थी. यूं तो विकास दर कई बार नीचे गिरी है, लेकिन नोटबंदी के बाद यह एक दम से नीचे आ गई थी. हालांकि उन्होंने इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया कि इस फैसले के बारे में उनसे सलाह ली गई थी या नहीं.

जीडीपी पर असर

सुब्रमण्यन ने कहा कि नोटबंदी एक बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका था. इसके बाद चलन में रहे 500 और हजार रुपये की मुद्राओं को वापस ले लिया गया था. चलन में रही कुल मुद्रा में इन दो नोटों की हिस्सेदारी 86% थी. इसके चलते सकल घरेलू उत्‍पाद यानि जीडीपी की विकास दर प्रभावित हुई थी. 

सुब्रमण्यन ने कहा कि उन्‍हें नहीं लगता है कि नोटबंदी के बाद किसी ने इस बात पर कोई चर्चा की होगी कि इससे जीडीपी पर क्‍या प्रभाव पड़ा, बल्कि पूरी बहस सिर्फ इस बात पर थी कि नोटबंदी के फैसले का असर कितना होगा. चाहे वह 2 प्रतिशत हो या इससे बहुत कम. आखिरकार, इस अवधि में कई अन्य कारकों ने भी वृद्धि को प्रभावित किया. इसमें विशेष रूप से उच्च वास्तविक ब्याज दरें, जीएसटी कार्यान्वयन और तेल की कीमतें.

(एजेंसी इनपुट के साथ)