Lithium, Rare Earth Elements mining: केंद्र सरकार ने बुधवार को लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) पर बिक्री मूल्य के साथ-साथ रॉयल्टी को भी मंजूरी दे दी. इस मंजूरी के कारण हाल ही में खोजे गए ब्लॉकों की पहली नीलामी संभव हो गई है. इसके साथ ही सरकार ने कॉमर्शियल माइनिंग में प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए रॉयल्टी को उचित दरों पर रखा है.  

लिथियम, REE माइनिंग रॉयल्टी

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लिथियम के लिए कैबिनेट ने लंदन मेटल एक्सचेंज (London Metal Exchange) मूल्य के आधार पर 3 फीसदी की रॉयल्टी रेट को मंजूरी दी है. यह रॉयल्टी रेट कंटेंड लिथियम मेटल (contained lithium metal) पर लगाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि लिथियम के जिस नए संसाधन को खोजा गया है, उसके अयस्क से लिथियम प्रॉफिट के साथ निकालने के लिए उचित टेक्नोलॉजी और क्वांटम इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होगी. 

REE पर रॉयल्टी प्रोड्यूस्ट अयस्क में मौजूद रेयर अर्थ ऑक्साइड (REO) के औसत बिक्री मूल्य का 1 फीसदी तय किया गया है. यह भी इंटरनेशनल प्रैक्टिस के अनुरूप है, जहां REE रॉयल्टी इल्मेनाइट, रूटाइल और जिरकोन पर रॉयल्टी (2 प्रतिशत) का आधा है.

लिथियम और REE दोनों को विशेष रूप से खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 की दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट नहीं किया गया था, जिसका मतलब था कि उन पर 12 प्रतिशत की रॉयल्टी दरें लगती थीं. लिथियम और REE की ये नई दरें अगले तीन साल तक लागू रहेंगी.

प्राइवेट सेक्टर्स को प्रोत्साहन

सरकार द्वारा बुधवार को औसत बिक्री मूल्य और रॉयल्टी को लेकर जो फैसला किया गया है, उसके बाद सरकार नए खोजे गए ब्लॉकों की ASP बिड पैरामीटर पर नीलामी करने में सक्षम करेगा. नीलामी प्रीमियम को ASP के फीसदी के रूप में बताया जाता है और रॉयल्टी बोली में बोलीदाताओं के वित्तीय विचार का आधार बनती है.

सरकार की कमाई पर नहीं पड़ेगा असर

खान मंत्रालय (Mines Ministry) ने प्रस्ताव दिया था कि अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए रॉयल्टी को शुरुआत में उचित स्तर पर रखा जा सकता है. आमतौर पर किसी भी मामले में बोलीदाता के द्वारा रॉयल्टी के ऊपर लगाई गई बोली सरकार को प्रीमियम के रूप में मिलती है. इसलिए रॉयल्टी की शुरुआती दिन में उचित दर पर रखने पर सरकार की राजस्व से कमाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा , बल्कि ब्लॉकों की नीलामी में प्रतिभागियों को आकर्षित करने में ही मदद मिलेगी.

मंत्रालय ने कहा कि देश में पहली बार खनन किए जाने वाले खनिजों की रॉयल्टी को तय कर समय रॉयल्टी एडमिनिस्ट्रेशन में आसानी, सरकार को उचित राजस्व और इन्वेस्टर्स के खनिजों के खनन में दिलचस्पी का होना जैसे कारकों को जरूर सुनिश्चित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लिथियम और REE की माइनिंग को प्रोत्साहित करना देश के लिए फायदेमंद है. इससे इंपोर्ट में कमी आएगी और आत्मनिर्भर भारत को भी बढ़ावा मिलेगा. 

लिथियम क्यों जरूरी?

इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी बनाने के लिथियम का इस्तेमाल होता है. भारत अपने लिथियम की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 70 फीसदी इंपोर्ट पर निर्भर है. यहां ये भी ध्यान देना चाहिए कि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को मौजूदा 1 फीसदी से बढ़ाकर 2030 तक 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है. 

भारत अपने लिथियम आयात (Lithium Imports) के लगभग 70 फीसदी और लिथियम-आयन के लिए 90 प्रतिशत से अधिक के लिए चीन और हांगकांग पर निर्भर है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का शीर्ष लिथियम उत्पादक है, इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और बोलीविया 'लिथियम ट्राइएंगल' हैं.

कहां होना है खनन

हाल ही में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा जम्मू और कश्मीर के रियासी (Reasi) जिले के सलाल-हमीना (Salal-Hamina) क्षेत्रों में G-3 कैटेगरी में बॉक्साइट, REE और लिथियम युक्त खनिज के भंडार की खोज की गई थी. यहां लिथियम का अनुमानित संसाधन 5.9 मिलियन टन है. इस भंडार में औसतन 33.9 प्रतिशत एल्युमिना या एल्यूमीनियम ऑक्साइड और 5.13 मिलियन टन टाइटेनियम का अनुमानित 13.2 मिलियन टन भंडार है.

जहां तक ​​REE का सवाल है, कर्नाटक ने सूचित किया है कि रायचूर जिले में मिनचेरी REE ब्लॉक का GSI द्वारा G3 स्तर तक एक्सप्लोर किया गया था. चूंकि इस ब्लॉक में बताए गए परमाणु खनिज (atomic minerals) अधिसूचित सीमा मूल्य से कम हैं, इसलिए राज्य सरकार को इस ब्लॉक की नीलामी करने के लिए अधिकृत किया गया है.

भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में यट्रियोफ्लुराइट, गैडोलाइट, ब्रिथोलाइट, सेरियानाइट, बैराइट, एलानाइट, मोनाजाइट और बास्टानेसाइट की मौजूदगी की पुष्टि की गई है. GSI ने बिहार में तीन, गुजरात और महाराष्ट्र में दो-दो, झारखंड और उत्तर प्रदेश में एक-एक सहित नौ अन्य ब्लॉकों के लिए भी एक्सप्लोर किया है और भूवैज्ञानिक रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें