नव्य, भव्य और दिव्य काशी विश्वनाथ धाम और तेजी से विकसित हो रही सुविधाओं के कारण अपनी एक अलग छाप छोड़ रहा है. इसी कारण यह  पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभर रहा है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बनने के बाद से बनारस में टूरिज्म इंडस्ट्री ने काफी ऊंची छलांग लगाई है. न केवल धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism) को बढ़ावा मिला है, बल्कि कई अन्य सेक्टरों ने उड़ान भरी है. कोरोना की मंदी में सुस्त पड़े इस सेक्टर को तकरीबन पांच गुना का इजाफा हुआ है.

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जानकार कहते हैं कि काशी कॉरिडोर टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए जैकपॉट साबित हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि काशी में हर महीने तकरीबन 20 से 30 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं. बनारस होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा कहते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से पूरे देश से लोग यहां आ रहे हैं. यहां पर युवा हर कोने से आ रहे हैं. सीजनल घूमने वाले नहीं, बल्कि यह संख्या अब नियमित बढ़ रही है. लगभग एक लाख लोग नियमित आ रहे हैं. छुट्टी वाले दिन यह संख्या दोगुनी हो रही है.

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देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी

लोगों को रोजगार मिला है. यहां पहले ताज (Taj) जैसा फाइव स्टार होटल था, लेकिन अब अन्य कई होटल बन रहे हैं. छोटा बड़ा मिलाकर लगभग 1200 होटल रजिस्टर्ड हैं. अन्य संस्थानों के गेस्ट हाउस या ठहरने के अन्य व्यवसायिक ठिकाने भी हैं. हालांकि, अभी यहां अपने देश के लोग ही यहां आ रहे हैं. विदेशी आने लगेंगे तो यह संख्या और भी बढ़ेगी. व्यापार भी रफ्तार पकड़ेगा.

हर चीज में GST से हो रही कमाई

वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के सदस्य और टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के ट्रेजरार संतोष कुमार सिंह का कहना है कि काशी कॉरिडोर बनने के बाद हर सेक्टर में कई गुना उछाल आया है. डोमेस्टिक टूरिज्म खूब बढ़ा है. पहले यहां विदेशियों (इनबाउंड) के भरोसे चलते थे, लेकिन अब भारतीय लोग भी अच्छी संख्या में आने लगे हैं. हर दिन एक लाख लोग आ रहे हैं. 2500 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल, गेस्ट हाउस पूरी तरह भरे रहते हैं. पहले अप्रैल से सितम्बर में लोग कम आते थे. होटल के किराया भी कम होते थे. पहली बार अप्रैल में भी होटलों के रेट बढ़ाए गए हैं. कोरोना के बाद काशी आने वाला टूरिस्ट होटल में वेटर से लेकर फूल वाले और टैक्सी और नाव वाले को पैसा देता है. सबको रोजगार मिलता है. सरकार को भी हर चीज में जीएसटी मिल रही हैं.

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वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के संयुक्त सचिव अनिल त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना के बाद से लोगों का आध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ा है. पहले साल भर एक आध ऐसी तिथियां होती थी, जिसमें यहां पर कमरे नहीं मिलते थे. लेकिन आज हर माह में 15 दिन ऐसे भी होते हैं जिसमे काशी के होटलों में रूम नहीं मिलता है. टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता कहते हैं कि काशी संस्कृति और आध्यात्मिक शहर है. यहां बढ़ी सुविधाओं और काशी विश्वनाथ धाम ने पर्यटकों को रिझाया है. बनारस में होटल सेक्टर के आलावा यहां पर हैंडीक्राफ्ट और साड़ी उद्योग में काफी बूम दिख रहा है.

धाम के कारण बनारस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई

काशी पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र रावत ने बताया कि कोरोना संकट के बाद से यहां पर पर्यटक खूब बढ़े हैं. 2022 की गणना के अनुसार 7,11,47,310 देशी और 83,741 विदेशी पर्यटक वाराणसी पहुंचे. काशी पर व्यापार करने वालों के आलावा पर्यटन से जुड़े लोगों की आय में 20 से 65 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह बात वर्ष 2022 में डीएवी पीजी कॉलेज की ओर से कराए गए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में समाने आई है. धाम के कारण बनारस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है.

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रोजगार के बने मौके

डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य रहे सत्यदेव सिंह कहते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद हमारी टीम के डाक्टर पारुल जैन और सिद्धार्थ ने मिलकर एक सर्वे किया. जिसमें पाया कि धाम बनने के बाद होटल मालिकों की आय में 65 फीसदी, दुकानदारों की आय में 47 फीसदी, ई-रिक्शा चालकों की आय में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. टैक्सी ऑपरेटरों की आय में सबसे कम 20 फीसदी की बढ़ोतरी आंकी गई है. रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी कि 98.48 फीसदी लोग यह मानते है कि रोजगार पैदा हुआ है. अकेले पर्यटन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 34.18% रोजगार बढ़ गया है. 99.53% लोगों ने माना है कि शहर के ढांचागत सुविधाओं में व्यापक सुधार हुआ है.

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