दुनिया का सबसे बड़ा कोको उत्पादक एवं निर्यातक कोटे डी आइवर कोको और कोको-आधारित उत्पादों के सीधे मार्केटिंग के लिए भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाशना चाहता है. कोको नियामक ली काउंसिल डु कैफे-कोको की योजना अगले महीने भारत की यात्रा पर जाने की है.

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कोको नियामक न सिर्फ कोको उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में पहुंच चाहता है, बल्कि वह कोटे डी आइवर में कोको के प्रोसेसिंग के लिए निवेशकों तथा भागीदारों की तलाश में भी है.

बिचौलियों के चलते किसानों को नुकसान

कोटे डी आइवर को पश्चिम अफ्रीका में स्थित आइवरी कोस्ट के नाम से भी जाना जाता है. फिलहाल कोटे डी आइवर के ज्यादातर कोको उत्पादों का विपणन बिचौलियों तथा तीसरे पक्ष के जरिये होता है और इसके चलते किसानों को काफी कम प्रतिफल मिल पाता है.

भारत के साथ सीधा कारोबार

कोको नियामक के प्रबंध निदेशक वेस ब्राहिमा कोने ने पीटीआई-भाषा से कहा, कि अभी तक कोको कारोबार के लिए यूरोप पर निर्भर रहने की प्रणाली बनी हुई थी. लेकिन हम अपने उत्पाद अन्य देशों को बेचना चाहते हैं. हम अपने उत्पाद सीधे भारतीय विनिर्माताओं को बेचना चाहते हैं.

कोको आयात के शुल्क पर चर्चा संभव

उन्होंने कहा कि हम अगले महीने भारत जाएंगे और संभावित भागीदारी और सरकार के लोगों से मिलेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या कोको के आयात पर ऊंचा शुल्क चर्चा का विषय होगा, नियामक ने कहा कि हम जिन मुद्दों पर बातचीत करेंगे उनमें से एक यह भी है. उन्होंने कहा कि इससे दोनों ही पक्षों को फायदा होगा.

आपको बताते चलें कि, भारत फिलहाल सालाना 27,000 टन कोको का उत्पादन करता है, जिसका उपयोग मुख्य तौर पर चॉकलेट बनाने में किया जाता है. भारत लगभग 1 लाख टन कोको आधारित उत्पादों का भी आयात करता है. 

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