Inflation: महंगाई के मोर्चे पर राहत भरी खबर है. अक्टूबर के महीने में भारत की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale price inflation) सालाना आधार पर घटकर 8.39 प्रतिशत रह गई है, जो सितंबर में 10.70 प्रतिशत दर्ज की गई थी. सोमवार को जारी, वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों में यह बात सामने आई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने हाल ही में अक्टूबर में महंगाई (WPI Inflation october 2022) के तेवर में नरमी आने की बात कही थी. खबर के मुताबिक, दास ने अक्टूबर माह के लिए मुद्रास्फीति (Inflation) की दर में कमी आने की संभावना के लिए सरकार और RBI द्वारा पिछले छह-सात महीनों में उठाए गए कदमों को वजह बताई थी.

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भारतीय रिजर्व बैंक का कहना था कि महंगाई को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य में बदलाव की जरूरत नहीं है क्योंकि 6 प्रतिशत से ज्यादा की महंगाई दर आर्थिक ग्रोथ को प्रभावित करेगी.

आर्थिक ग्रोथ की संभावनाएं अच्छी

आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लेकर कहा कि दुनियाभर में उथल-पुथल के बीच भारत की आ बुनियादी पहलू मजबूत बने हुए हैं और आर्थिक ग्रोथ की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं. आरबीआई ने भरोसा जताया कि भारत वित्त वर्ष 2022-23 में 7% की अनुमानित वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के समर्थन से देश की अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है. सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7 से बढ़कर 7.4% पर पहुंच गई है. खाने-पीने के सामान की दर 7.6 से बढ़कर 8.6% पर आ गई है. 

खुदरा महंगाई एक साल में बहुत तेज बढ़ी

सितंबर, 2021 में खुदरा महंगाई 4.35 प्रतिशत थी, जो एक साल में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है. अगस्त, 2022 में यह 7 प्रतिशत पर थी. हालांकि, सितंबर, 2021 में जहां कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स 0.68 पर था, वहीं एक साल बाद यह 8.60 पर आ गया है. इसका मतलब है कि एक साल में खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हो गई है.

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