Inflation: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि इस साल महंगाई (Inflation) में कमी आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि एक लचीली मुद्रास्फीति लक्षित व्यवस्था के साथ-साथ आपूर्ति-पक्ष की कार्रवाई ने दूसरे देशों की तुलना में कीमतों में बढ़ोतरी की दर को कम रखा है. गोयल ने कहा कि भारत ने पिछले तीन वर्षों में काफी लचीलापन दिखाते हुए चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है. उन्होंने कहा, महंगाई दर के साल भर में नीचे आने की उम्मीद है.

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उन्होंने कहा, महंगाई को लक्ष्य करने वाली लचीली व्यवस्था के साथ सरकार की आपूर्ति पक्ष की कार्रवाई ने दूसरे देशों की तुलना में भारत में महंगाई की दर को कम रखा है. उनसे पूछा गया था कि क्या हाई इंफ्लेशन भारत में एक सामान्य स्थिति बन गई है. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान नीतिगत दरों में भारी कटौती की गई थी, इसलिए पुनरुद्धार के बाद उन्हें तेजी से बढ़ाना पड़ा.

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रेपो रेट अबतक 2.5% बढ़ा

गोयल ने आगे जोड़ा, लेकिन बाहरी मांग में कमी के कारण वर्तमान में नीतिगत दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. घरेलू मांग को क्षतिपूर्ति की अनुमति दी जानी चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल मई से अपनी मुख्य रेपो रेट (Repo Rate) में 2.5% की बढ़ोतरी की है. 

महंगाई का अनुमान घटाया

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता कीमतों पर आधारित महंगाई के अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है. जनवरी में भारत की खुदरा महंगाई 6.52% थी.

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इस सवाल पर कि गर्म मौसम का गेहूं की फसल (Wheat Crop) और खाद्य महंगाई पर क्या असर हो सकता है, उन्होंने कहा कि मौसम का रुख अनिश्चित हो गया है, इसलिए कृषि में लचीलापन लाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण जोखिम बने हुए हैं.

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