मांग अधिक होने से केंद्र सरकार ने कई वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाई हुई है, जिससे एक्सपोर्ट इंडस्ट्री इस साल कुछ दबाव में रही है, लेकिन आने वाला नया साल 2020 इस इंडस्ट्री के लिए कारोबार के नए रास्ते खोल सकता है. नए साल में साल निर्यात पर लगी रोक को हटा सकती है.

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बता दें कि निर्यात की मौजूदा सुस्ती पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में गिरावट कारण है. पेट्रोलियम उत्पादों की देश के कुल निर्यात में 13.42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. पेट्रोलियम की कीमतें गिरने से पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात का मूल्य कम हो गया है. 

भारत के निर्यात की वृद्धि दर अगस्त 2019 के बाद से कुछ कमजोर रही है है. इसका मुख्य कारण पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग तथा रत्नों एवं आभूषणों के निर्यात में गिरावट आना है.

विश्व व्यापार संगठन ने 2019 में वैश्विक व्यापार की वृद्धि दर का अनुमान 2.6 फीसदी से घटाकर 1.2 प्रतिशत कर दिया है. हालांकि, उसने कहा है कि 2020 में यह वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत पर पहुंच सकती है.

निर्यातकों के शीर्ष संगठन फिओ का कहना है कि बढ़ते संरक्षणवाद के कारण अनिश्चितता बढ़ रही है, जिससे वैश्विक परिस्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण होती जा रही हैं. लेकिन 2020 की पहली छमाही में वैश्विक परिस्थितियां सुधर सकती हैं, जिसका भारत के निर्यात पर सकारात्मक असर होगा.

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अनुमान के मुताबिक, अगर निर्यात सेक्टर में सुधार होता है तो 2020-21 में निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य तय किए जा सकते हैं. अगले साल निर्यात सकारात्मक वृद्धि की राह पर लौट आएगा लेकिन वृद्धि दर शायद 10 प्रतिशत से नीचे रहेगी.