100 बिलियन डॉलर के FDI पर सरकार की नजर, इंडियन इकोनॉमी को मिलेगा जबरदस्त बूस्ट, 101 देशों से आए निवेशक
FDI in India: फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट में तेजी से उछाल आ रहा है. सरकार की नजर इस फिस्कल में 100 बिलियन डॉलर के एफडीआई पर है. मेक इन इंडिया प्रोग्राम से विदेशी निवेश में बंपर तेजी देखी जा रही है.
FDI in India: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (Foreign Direct Investment) का बड़ा योगदान है. एफडीआई को आकर्षित करने के लिए सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लगातार प्रमोट कर रही है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए एफडीआई का टार्गेट 100 बिलियन डॉलर रखा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘देश में एफडीआई 101 देशों से आया जिसे 31 केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में तथा 51 क्षेत्रों में निवेश किया गया. अपने आर्थिक सुधारों और कारोबार करने में सुगमता बढ़ाने के प्रयासों के बूते भारत चालू वित्त वर्ष में 100 बिलियन डॉलर का एफडीआई पाने की दिशा में बढ़ रहा है.’’ देश को 2021-22 में अब तक का सर्वाधिक 83.6 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था.
उदार और पारदर्शी नीति का दिख रहा असर
मंत्रालय ने कहा कि विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने उदार तथा पारदर्शी नीति अपनाई है जिसमें ज्यादातर क्षेत्र ऑटोमेटेड रूट के जरिए एफडीआई के लिए खुले हैं. सुधार के कदम अनावश्यक रेगुलेटरी कम्प्लायंस को कम करने, लागत घटाने और कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह छह फीसदी गिरकर 16.6 बिलियन डॉलर हो गया.
मेक इन इंडिया प्रोग्राम को आठ साल पूरे
इधर मेक इन इंडिया को आठ साल पूरे होने जा रहा है. 25 सितंबर को इस प्रोग्राम को आठ साल पूरे हो जाएंगे. आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए सरकार सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर पर फोकस कर रही है. डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अब तक 14 सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई है. ट्वॉय एक्सपोर्ट में बंपर उछाल देखा जा रहा है.
फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट डबल हुआ
मेक इन इंडिया प्रोग्राम की मदद से फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट में काफी उछाल आया है. 2014-15 में एफडीआई प्रवाह 45.15 बिलियन डॉलर था जो 2021-22 में 83.6 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. इस प्रोग्राम के कारण विदेशी निवेशक अब भारत को मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में देख रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग का सारा फोकस मेड इन इंडिया से मेड फॉर द वर्ल्ड की तरफ शिफ्ट हो रहा है.
(भाषा इनपुट के साथ)