Indian Economy Growth Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि यदि 2047 (अमृत काल) तक भारत की संभावित वृद्धि दर सालाना औसतन छह प्रतिशत रहती है, तो यह निम्न मध्यम अर्थव्यवस्था बना रहेगा. इसके अलावा उस समय तक भारत का जनसांख्यिकीय लाभ भी समाप्त हो जाएगा. राजन ने शनिवार को यहां ‘मंथन’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर देश तेज वृद्धि हासिल नहीं करता है, तो वह अमीर होने से पहले (जनसांख्यिकीय रूप से) ‘वृद्ध’ हो जाएगा, जिसका मतलब है कि उस समय देश पर बड़ी उम्र वाली आबादी का भी बोझ होगा. 

महिलाओं की भागीदारी है कम

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजन ने कहा कि पिछली दो तिमाहियों में भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत के आसपास रही है, और अगर कोई श्रमबल की भागीदारी को देखे है, तो यह काफी कम है. महिलाओं की भागीदारी तो G20 में सबसे कम है. 

2047 तक क्या होंगे हालात?

उन्होंने कहा, "भारत की वृद्धि क्षमता आज लगभग छह प्रतिशत सालाना है. यदि आप गणना करें, तो छह प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से आप हर 12 साल में दोगुना हो जाएंगे और इसलिए 24 साल में हम प्रति व्यक्ति आय से चार गुना हो जाएंगे. आज, जैसा कि आप जानते हैं, भारत में प्रति व्यक्ति आय 2,500 डॉलर प्रति व्यक्ति से थोड़ी कम है. इसे चार से गुणा करने पर यह प्रति व्यक्ति 10,000 डॉलर होगी. इसलिए यदि आप हमारी वर्तमान वृद्धि दर के हिसाब से गणना करें, तो हम अमीर नहीं बनते हैं. हम 2047 तक निम्न मध्यम आय वाला देश बने रहेंगे." 

राजन ने कहा कि वृद्धि की वर्तमान रफ्तार श्रमबल में शामिल होने वाले सभी लोगों को रोजगार देने के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ विकसित देश अमीर बनने से पहले मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए विनिर्माण से सेवाओं की ओर स्थानांतरित हुए हैं. उन्होंने कहा कि ये देश मुख्य रूप से सेवा आधारित अर्थव्यवस्थाएं हैं. अमीर देशों में 70 प्रतिशत श्रमबल सेवा क्षेत्र में और 20 प्रतिशत विनिर्माण में कार्यरत है. वहीं पांच-पांच प्रतिशत निर्माण और कृषि क्षेत्र में कार्यरत है.