इंडियन इकोनॉमी को लेकर एक बुरी खबर है. HSBC के इकोनॉमिस्ट के मुताबिक,  अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ रेट घटकर 5.5  फीसदी रह सकता है. रॉयटर्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुस्त हो रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी रहा था. चालू वित्त वर्ष में यह 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. दिसंबर में रिजर्व बैंक की तरफ से जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ग्रोथ का अनुमान 6 फीसदी रखा गया था. HSBC का अनुमान इससे कम है.

निर्यात और आयात में गिरावट आ रही है

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HSBC सिक्यॉरिटीज एंड कैपिटल मार्केट (इंडिया) के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा कि बीते कुछ महीनों में देश का निर्यात और आयात कम हुआ है. निर्यात में गिरावट की रफ्तार और तेज है. निर्यात में गिरावट ग्लोबल इकोनॉमी में मांग में आई कमी के कारण है. इकोनॉमिस्ट का मानना है कि डोमेस्टिक मांग ग्लोबल मांग के मुकाबले बेहतर स्थिति में है.

शहरी मांग कमजोर हो रहा है

बीते दो साल से कोरोना के दौरान सर्विस के मुकाबले गुड्स की डिमांड बेहतर थी. अब इसमें गिरावट देखी जा रही है. 2022 के मध्य तक शहरी मांग, ग्रामीण मांग के मुकाबले कहीं ज्यादा थी. अब इसमें भी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं. अर्बन डिमांड में प्राइमरी गुड्स का बड़ा हिस्सा होता है.

ग्रामीण मांग बेहतर होने की उम्मीद 

2022 में पूरे साल ग्रामीण मांग कमजोर रही. हालांकि, इसमें मजबूती की संभावना है. विंटर सीजन में बुवाई में तेजी और ग्रामीण महंगाई में कमी से रूरल इंडिया से इकोनॉमी को सपोर्ट मिलता दिख रहा है. पिछले साल इन्वेस्टमेंट में भी कमी दर्ज की गई. हालांकि, सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर की मदद से कंजप्शन को सपोर्ट किया.

 

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