Indian Economy: बजट 2024 (Budget 2024) से पहले सरकार को बड़ी खुशखबरी मिली है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत का FY24 GDP ग्रोथ अनुमान 0.40% बढ़ाकर 6.7% किया. इसके साथ ही, आईएमएफ ने FY25 का GDP ग्रोथ अनुमान 0.20% बढ़ाकर 6.5% किया. वहीं भारत का FY26 GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% किया.

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आईएमएफ ने 30 जनवरी को अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट कहा, भारत में विकास दर 2024 और 2025 दोनों में 6.5 फीसदी मजबूत रहने का अनुमान है, जिसमें अक्टूबर से दोनों वर्षों के लिए 0.20 फीसदी प्वाइंट्स की बढ़ोतरी होगी, जो घरेलू मांग में लचीलेपन को दर्शाता है.

 

आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में मंगलवार को कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी के इस वर्ष 3.1 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. यह 2023 की ग्रोथ के बराबर है, लेकिन अक्टूबर के पिछले अनुमान 2.9 फीसदी से बेहतर है. IMF का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति 2024 में घटकर 5.8 फीसदी और 2025 में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 2023 में 5.8 फीसदी थी. रिपोर्ट के अनुसार, विकसित देशों में महंगाई दर इस साल कम होकर 2.6 फीसदी और अगले साल 2 फीसदी पर आने की उम्मीद है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और अन्य कई केंद्रीय बैंकों ने महंगाई को 2 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है. एक तरफ ग्रोथ में सुधार और दूसरी तरफ महंगाई में नरमी से ग्लोबल इकोनॉमी कुल मिलाकर चक्रीय नरमी की ओर हैं. यानी यह चक्रीय नरमी है जो महंगाई को काबू में लाएगी लेकिन मंदी का कारण नहीं होगी.

चीन की ग्रोथ रेट 4.6% रहने का अनुमान

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की ग्रोथ रेट 2.1 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 1.5 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी. अमेरिकी की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 2023 में 2.5 फीसदी रही थी. IMF ने धीमी पड़ती चीनी अर्थव्यवस्था के लिए भी ग्रोथ आउटलुक में सुधार किया है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट इस साल 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है जो अक्टूबर में जताये गये अनुमान से अधिक है. लेकिन 2023 की 5.2 फीसदी ग्रोथ से कम है. चीन सरकार के खर्च बढ़ाने से चीनी आवास बाजार के ढहने से हुए नुकसान को कम करने में मदद मिली है.

आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी अब भी जोखिमों का सामना कर रही है. इसमें से एक जोखिम वित्तीय बाजार को लेकर है, जो इस बात को लेकर आश्वस्त है कि फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) अपना रुख पलटेगा और मार्च में अपनी बैठक से ही नीतिगत दर में कटौती शुरू कर देगा. हालांकि, उन्हें 2024 की दूसरी छमाही तक दर में कटौती शुरू होने की उम्मीद नहीं है. निवेशकों को अगर जल्दी नीतिगत दर में कटौती देखने को नहीं मिलती है, तो वे बाजार में बिकवाली कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी समस्या भू-राजनीतिक तनाव है. विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच का तनाव विश्व व्यापार को बाधित कर सकता है.