आर्टिकल-370 पर भारत के फैसले से तिलमिलाए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ सभी द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों को निलंबित करने का फैसला किया है. लेकिन इस फैसले से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश के कुल विदेश व्यापार का महज 0.31 प्रतिशत ही पाकिस्तान के साथ होता है. इसके अलावा पाकिस्तान के साथ कारोबार में 80 प्रतिशत माल भारत से पाकिस्तान जाता है, जबकि पाकिस्तान से महज 20 फीसदी माल भारत आता है. वहीं, दूसरी तरफ दोनों पड़ोसी देशों के बीच व्यापार बंद होने का पाकिस्तान को भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत के साथ पाकिस्तान का व्यापार उसके कुल विदेश व्यापार का महज 3.2 फीसदी है. इससे पहले भी पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिए थे और वहां से आनेवाले माल पर 200 फीसदी सीमा शुल्क लगा दिया था. 

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दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ने से पहले भारत ने पाकिस्तान को कारोबार में सबसे तरजीही देश का दर्जा दे रखा था. लेकिन इस दर्जे से भी दोनों देशों के बीच व्यापार में कोई उल्लेखनीय प्रगति देखने को नहीं मिली थी. वित्त वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच व्यापार महज 2.4 अरब डॉलर रहा, जो कि भारत के कुल विदेश व्यापार का 0.31 फीसदी और पाकिस्तान के कुल विदेश व्यापार महज 3.2 फीसदी है. 

समाचार पत्र 'द न्यूज' की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान द्वारा भारत को 7.83 करोड़ डॉलर मूल्य के सीमेंट, 3.49 करोड़ डॉलर मूल्य के उर्वरक, 11.28 करोड़ डॉलर मूल्य के फल, 6.04 करोड़ डॉलर मूल्य के रसायन और चमड़े व संबंधित उत्पादों का निर्यात किया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में पुलवामा के बाद भारत ने कई दंडात्मक कदम उठाए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित हुआ. 

भारत से पाकिस्तान को किए जानेवाले निर्यात में कच्चा कॉटन, कॉटन यार्न, रसायन, प्लास्टिक, हस्तनिर्मित ऊन और डाइज हैं. भारत ने पाकिस्तान के गिरते रुपये को देखते हुए पहले से ही उसे रोकने के उपाय शुरू कर दिए थे. क्योंकि पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में कमी से भारतीय बाजार के लिए वह माल सस्ता हो जाता, जिसका स्थानीय कारोबार पर असर पड़ता.

दूसरी तरफ, चीन पाकिस्तान में सीपीईसी परियोजना बना रहा है. अगर यह परियोजना पूरी हो जाती है, तो वैसे भी पाकिस्तान के भौगोलिक रूप से भारत से जुड़े होने का जो फायदा दोनों देशों के बीच व्यापार को मिलता है, उसका बहुत अधिक महत्व नहीं रह जाएगा. इसके बाद पाकिस्तान भारत के बजाए चीन के साथ व्यापार करना अधिक पसंद करेगा. चीनी सामान और सेवाएं दुनिया में सबसे सस्ती हैं, ऐसे में पाकिस्तान के लिए भारत के बजाए चीन से व्यापार करना ज्यादा फायदेमंद होगा. हालांकि इस परियोजना का पूरा होना आसान नहीं है, क्योंकि भारत इसका पुरजोर विरोध करता है. 

(रॉयटर्स)

 

हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच 37 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होने की क्षमता है. विश्व बैंक द्वारा हाल में ही किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है. लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध खराब होने के कारण इस क्षमता का 10 फीसदी भी उपयोग नहीं हो पाया है. भारत खासतौर से वस्त्र और कृषि क्षेत्र में पाकिस्तानी वस्तुओं पर शुल्क को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं का निराकरण नहीं करता है, जिसके जवाब में पाकिस्तान भी भारतीय वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाता है. 

भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार के इतिहास को देखें तो आजादी के 18 सालों बाद तक दोनों देशों के बीच कारोबार काफी अधिक था. क्योंकि दोनों ही देश एक-दूसरे पर सीमा शुल्क नहीं लगाते थे. लेकिन 1965 के युद्ध के बाद स्थितियां बदल गईं और भारत ने पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगा दिया. 

1948-49 की अवधि में भारत के कुल निर्यात का 23.60 फीसदी पाकिस्तान को जाता था, जबकि पाकिस्तान का 50.60 फीसदी निर्यात भारत को किया जाता था. 1965 की लड़ाई के बाद दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध दोबारा जुड़ने में करीब एक दशक का वक्त लगा. वित्त वर्ष 1975-76 में भारत के कुल निर्यात का 1.3 फीसदी पाकिस्तान को किया गया, जबकि पाकिस्तान के कुल निर्यात का करीब 0.6 फीसदी भारत को किया गया.