Rice Export Ban: केंद्र सरकार ने देश में चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने Broken Rice के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है. नया आदेश आज  से लागू होगा. ज़ी बिजनस ने पहले ही बताया था कि सरकार समीक्षा कर रही है. आगे चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध का दायरा और बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा सरकार ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% ड्यूटी लगाई है. बता दें कि चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40% है.

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सरकार ने उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20% का निर्यात शुल्क लगा दिया है. चालू खरीफ सत्र (Kharif Season) में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.

इन कन्साइनमेंट को एक्सपोर्ट की अनुमति

9-15 सितंबर तक सिर्फ़ उन कन्साइनमेंट को एक्सपोर्ट की इजाजत होगी जिनकी लोडिंग हो चुकी है, जिनकी बिलिंग हो चुकी है और जो पोर्ट पर कस्टम के सुपुर्द कर दिया गया है.

गैर बासमती चावल विदेश भेजना होगा महंगा

धान के रूप में चावल और ब्राउन राइस पर 20% का एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाया गया है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि उसना चावल और बासमती चावल को छोड़कर अन्य किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा. अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्यात शुल्क 9 सितंबर से लागू होगा.

भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था. इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर रहा. भारत ने 2021-22 में दुनिया के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.

धान की बुवाई का रकबा घटा

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सत्र में अबतक धान का बुवाई क्षेत्र 5.62% घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है. देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है.