मई महीने में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 5.2 फीसदी रहा. मई 2022 में यह 19.7 फीसदी रहा था. अप्रैल 2023 में यह दर 4.5 फीसदी रही थी. NSO की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक, मई महीने में  माइनिंग ग्रोथ 6.4 फीसदी रहा जो अप्रैल में 5.1 फीसदी रहा था. मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 5.7 फीसदी रहा जो अप्रैल में 4.9 फीसदी रहा था. इलेक्ट्रिसिटी ग्रोथ  0.9 फीसदी रहा जो अप्रै ल में माइनस 1.1 फीसदी रहा था.

प्राइमरी गुड्स कैटिगरी का ग्रोथ 1.9 फीसदी रहा

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प्राइमरी गुड्स कैटिगरी में ग्रोथ मंथली आधार पर  1.9 फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी रहा. कैपिटल गुड्स सेगमेंट का ग्रोथ  6.2 फीसदी से बढ़कर 8.2 फीसदी रहा. इन्फ्रा गुड्स ग्रोथ 12.8 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी रहा. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स माइनस 3.5 फीसदी से बढ़कर 1.1 फीसदी रहा. कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स का ग्रोथ 10.7 फीसदी से घटकर 7.6 फीसदी रहा.

3 महीने के उच्च स्तर पर महंगाई

खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में खुदरा महंगाई बढ़कर तीन महीनों के उच्चस्तर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई. सरकार ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई के आंकड़े जारी किए. मई में खुदरा महंगाई 4.31 फीसदी रही थी जबकि साल भर पहले जून, 2022 में यह सात फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खाद्य उत्पादों की महंगाई 4.49 फीसदी रही जबकि मई में यह 2.96 फीसदी थी. सीपीआई में खाद्य उत्पादों का भारांक लगभग आधा होता है. 

Q1 के लिए महंगाई का अनुमान 4.6% रखा था RBI

जून में खुदरा महंगाई की दर बढ़ने के बावजूद यह भारतीय रिजर्व बैंक के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर के नीचे है. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी तक सीमित रखने का दायित्व सौंपा हुआ है. रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई के आंकड़े को ध्यान में रखते हुए द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा करता है. रिजर्व बैंक ने पिछले महीने की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 6.5 फीसदी पर कायम रखा था. इसके साथ ही उसने अप्रैल-जून तिमाही में खुदरा महंगाई के 4.6 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था.

 

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