फरवरी 2022 में यूक्रेन क्राइसिस शुरू होने के बाद जब दुनिया में तेल की कीमत बढ़ने लगी तो भारत ने रूस से सस्ती दरों पर क्रूड ऑयल समेत अन्य सामानों की खरीद बढ़ा दी. नतीजन वित्त वर्ष 2022-23 में रूस से आयात में करीब 5 गुना उछाल दर्ज किया गया. आयात करने वाले देशों की लिस्ट में चीन अभी भी नंबर वन है, लेकिन उसका शेयर घट गया है. वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, भारत ने FY2023 में सबसे ज्यादा चीन से आयात किया. इसके बाद UAE, अमेरिका और फिर रूस का स्थान आता है.

रूस से क्या आयात किया गया?

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FY2022 में भारत ने रूस से 9.87 बिलियन डॉलर का आयात किया थो जो FY2023 में बढ़कर 46.33 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. भारत ने रूस से बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम, सूरजमुखी तेल, कोयला, फर्टिलाइजर्स का आयात किया है.

चीन से कुल आयात 98.51 बिलियन डॉलर रहा

चीन से आयात में 4.16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और कुल आयात 98.51 बिलियन डॉलर किया गया. UAE से आयात में 18.75 फीसदी का उछाल आया और कुल 53.24 बिलियन डॉलर का आयात किया गया. अमेरिका से आयात में 15.98 फीसदी का उछाल आया और कुल 50.24 बिलियन डॉलर का आयात किया गया. रूस से आयात में करीब 370 फीसदी का उछाल आया और कुल 46.33 बिलियन डॉलर का आयात किया गया.

भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी घटी

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 15.43 फीसदी थी जो घटकर 13.79 फीसदी पर आ गई. FY2023 में भारत के कुल आयात में UAE की हिस्सेदारी 7.45 फीसदी, अमेरिका की 7 फीसदी और रूस की हिस्सेदारी 1.61 फीसदी से बढ़कर 6.49 फीसदी पर पहुंच गई.

चीन के निर्यात में 28 फीसदी की गिरावट

वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों क अनुसार, भारत का कुल आयात 17.38 फीसदी बढ़कर 2022-23 में 892.18 बिलियन डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) में 760.06 बिलियन डॉलर था. इस बीच भारत से चीन को निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 28 फीसदी घटकर 15.32 बिलियन डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 21.26 बिलियन डॉलर था. 

FY2023 में भारत का कुल निर्यात 13.84 फीसदी बढ़ा

भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त रूप से) वित्त वर्ष 2022-23 में 13.84 फीसदी की वृद्धि के साथ 770.18 फीसदी होने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 676.53 बिलियन डॉलर था. देश का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 122 बिलियन डॉलर हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 83.53 बिलियन डॉलर था. 

(भाषा इनपुट के साथ)

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