अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax) में कटौती के भारत के फैसले का सपोर्ट करते हुए शुक्रवार को कहा यह इन्वेस्टमेंट के अनुकूल है. हालांकि उसने यह भी कहा कि भारत को राजकोषीय स्थिति से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना चाहिए ताकि इस मामले में लंबे समय तक मजबूती बनी रहे. आईएमएफ के निदेशक (एशिया एवं प्रशांत विभाग) चांगयोंग री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि राजकोषीय मोर्चे पर भारत की राह तंग है, अत: उहें सावधानी से चलना चाहिये. हम कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के उनके फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि इसका निवेश पर सकारात्मक असर होगा.’’

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उन्होंने कहा कि पिछली दो क्वार्टर की सुस्ती को देखते हुए इस वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो बढ़कर 2020 में सात प्रतिशत हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘मोनेटरी पॉलिसी में किये गए उपाय तथा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से निवेश में सुधार का अनुमान है.’’आईएमएफ की डिप्टी डायरेक्टर (एशिया और प्रशांत विभाग) एन्ने-मारी गुल्ड-वोल्फ ने कहा कि भारत को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (NBFC) की दिक्कतों को दूर करना चाहिये.

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उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी बैंकों में पूंजी डालने समेत कुछ सुधार हुए हैं लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की दिक्कतें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इससे अवगत भी है. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत के कर्ज का स्तर ऊंचा है और राजकोषीय मोर्चे पर सुधार प्राथमिकता होनी चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि एक संघीय व्यवस्था में राजकोषीय मोर्चे पर सुधार अधिक जटिल है. अलग राज्यों में राजकोषीय संरचना के मसले और चुनौतियां अलग होती हैं.’’