ग्लोबल इकोनॉमी की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. साल 2022 में यूक्रेन क्राइसिस और महंगाई गंभीर चुनौती थी. इसका असर कम हो ही रहा था कि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग क्राइसिस आ गई. इसके गंभीर परिणाम देखे जा रहे हैं. इन तमाम फैक्टर्स के बावजूद साल 2023 में ग्लोबल ग्रोथ में भारत और चीन का अहम योगदान रहेगा. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है. इस कैलेंडर ईयर ग्रोथ रेट 3 फीसदी के नीचे आ सकता है. हालांकि, भारत और चीन का योगदान इसमें आधा रहेगा.

खासकर एशिया का प्रदर्शन शानदार

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IMF और वर्ल्ड बैंक की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में जॉर्जीवा ने कहा कि महंगाई अभी भी हाई है. ग्लोबल पॉलिटिकल टेंशन जारी है. ऐसे हालात में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए ग्रोथ का रास्ता अभी भी कठिन बना हुआ है. उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण हालात में खासकर एशिया का प्रदर्शन अच्छा दिख रहा है. अमेरिका और यूरोप में मंदी की आहट तेज हो रही है. 

विकसित इकोनॉमी की हालत खराब

जॉर्जीवा ने कहा कि उच्च ब्याज दरें मांग को कम कर रही हैं. इस वर्ष लगभग 90 फीसदी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक वृद्धि में गिरावट होने की उम्मीद है. IMF का अनुमान है कि वैश्विक आर्थिक विकास दर अगले पांच वर्षों में लगभग 3 फीसदी रहेगी, जो कि 1990 के बाद से संस्था द्वारा किया गया सबसे कम मध्यम अवधि का आर्थिक विकास पूवार्नुमान है. यह पिछले 20 वर्षों में 3.8 फीसदी के औसत स्तर से भी काफी नीचे है.

अगले हफ्ते ग्रोथ अनुमान के लेकर IMF की रिपोर्ट आएगी

बता दें कि IMF और विश्व बैंक की 2023 वसंत बैठकों के आधिकारिक कार्यक्रम 10 से 16 अप्रैल तक वाशिंगटन में आयोजित किए जाएंगे, इस दौरान IMF अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट जारी करेगा.

RBI ने 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है

इसी हफ्ते रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा. उसका अनुमान है कि FY2024 में ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रह सकता है. हालांकि, जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का मानना है कि रिजर्व बैंक का यह अनुमान बहुत ही आशावादी है. आरबीआई ने महंगाई का अनुमान 5.2 फीसदी रखा है.

(IANS इनपुट के साथ)

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