भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय में तनाव की खबरों के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के लिए भारत सरकार को रिजर्व बैंक की बात पर ध्यान देना चाहिए. रविवार को पत्रकारों के साथ प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि आईएमएफ नहीं चाहता कि राजनीतिक लाभ के लिए राजनीतिज्ञ केंद्रीय बैंकों के कामकाज में ‘हस्तक्षेप’ करें.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार और रिजर्व बैंक के बीच देश में हाल में बने हालात की पृष्ठभूमि में ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि इस पर एक लंबी बहस हो सकती है कि वित्तीय स्थिरता के लिए क्या यह बेहतर होगा कि इसे केंद्रीय बैंक की सीमा में रहना चाहिए या उसे एक स्वतंत्र नियामक की तरह काम करना चाहिए. ब्रिटेन ने 1997 में अपने केंद्रीय बैंक का विघटन किया और बाद में उन्हें एक साथ जोड़ दिया. मैं इस विषय पर कोई पक्ष नहीं ले रहा. लेकिन मेरा मानना है कि केंद्रीय बैंक एक हद तक भुगतान प्रणाली और वित्तीय स्थिरता की चिंता से परिचित होते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें यह सोचने की जरूरत है कि बेहतर सांस्थानिक ढांचा क्या हो सकता है जिसके तहत अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए वित्तीय नीति को तय किया जा सके, न कि सिर्फ राजनैतिक हित साधने के लिए उसका उपयोग हो.

उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि रिजर्व बैंक और भारत सरकार के बीच आगे कैसे काम करना है, को लेकर सहमति बन गई है. उनका मत है कि वित्तीय स्थिरता का RBI का संदेश महत्वपूर्ण और सही है और सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.