माल और सेवाकर (GST) परिषद की बुधवार को अहम् बैठक है. इस बैठक में राजस्व (Revenue) लक्ष्‍य बढ़ाने के उपायों पर मंथन हो सकता है. GST की मौजूदा व्यवस्था के तहत उम्मीद से कम राजस्व मिल रहा है. GST राजस्‍व में कमी की भरपाई के लिए इसकी दर और सेस में बढ़ोतरी का सुझाव है. 

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पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों ने हालांकि, सेस की दरों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी करने का विरोध किया है. राज्य सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच उपभोक्ता के साथ-साथ उद्योगों को भी कामकाज में दबाव का सामना करना पड़ रहा है. वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली GST परिषद ने जीएसटी और सेस की दरों की समीक्षा के बारे में सुझाव मांगे हैं. 

परिषद ने विभिन्न सामानों पर दरों की समीक्षा करने, उल्टे कर ढांचे को ठीक करने के लिये दरों को तर्कसंगत बनाने, राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिये वर्तमान में लागू उपायों के अलावा अन्य अनुपालन उपायों के बारे में सुझाव मांगे हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि राज्यों को GST परिषद से पत्र मिला है. इसमें उनसे राजस्व लक्ष्‍य बढ़ाने के बारे में सुझाव मांगे गये हैं.

मित्रा ने पत्र में लिखा है कि यह बहुत खतरनाक स्थिति है. हमें ऐसे समय जब इंडस्‍ट्री और ग्राहक दोनों ही काफी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं जब मांग और कारोबार में बढ़ोतरी  के बिना ही मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है. ऐसे समय में कर ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव करना या कोई नया उपकर लगाने ठीक नहीं होगा. हमें इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि भारत सुस्त आर्थिक वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के दौर में है. ऐसी स्थिति है जहां आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती रहने के बावजूद मुद्रास्फीति में तेजी का रुख बन रहा है. खाद्य उत्पादों के बढ़ते दाम की वजह से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति तीन साल के उच्चस्तर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई है.