सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान 12,000 करोड़ रुपये की वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) की चोरी (Evasion) पकड़ी है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के सदस्य जॉन जोसफ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके यानी ई-वे बिल के बावजूद बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी हो रही है और अनुपालन बढ़ाने की जरूरत है. जोसफ ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमने जीएसटी चोरी रोकने के उपाय अप्रैल से शुरू किए और अब तक 12,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी है. यह केंद्रीय उत्पाद अथवा सेवा कर के समय के मुकाबले में काफी बड़ी राशि है. बड़े पैमाने पर चोरी हो रही है. बाहर कई स्मार्ट लोग हैं जो जानते हैं कि पैसा कैसे जेब में डाला जा सकता है.

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CBIC में जांच का काम देखने वाले जोसफ ने कहा कि कर अधिकारियों ने करीब 8,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी को वसूल लिया है. जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. जोसफ ने बताया कि 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं में से मात्र पांच से दस प्रतिशत इसकी चोरी कर रहे हैं और उद्योग का नाम खराब कर रहे हैं. हमें अनुपालन तंत्र को बेहतर करने की जरूरत है.

उद्योग की इन चिंताओं कि सरकार के बदलने पर पूरी जीएसटी प्रक्रिया बदल जाएगी. जोसफ ने कहा कि आपकी यह चिंता कि चुनाव नतीजे जीएसटी के लिए अच्छे होंगे या खराब, मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो भी राजनीतिज्ञ हैं चाहे वे सत्ता में हैं या विपक्ष में सभी ने एक साथ आकर इसे लागू किया है. हालांकि, कानून या फिर कुछ प्रक्रियागत बदलाव निश्चित रूप से हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के सदस्यों वाली जीएसटी परिषद ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से संबंधित सभी फैसले लिए हैं. सीबीआईसी के सदस्य ने कहा कि नए जीएसटी रिटर्न फॉर्म में शुरुआत में बीटा संस्करण होगा जिससे उद्योग के पास रिटर्न की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सुझाव देने का पर्याप्त समय होगा.