रीयल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने आवास परियोजनाओं में मकानों पर नये कर ढांचे को लागू करने की एक योजना को मंजूरी दे दी है. इसके तहत 31 मार्च तक अपूर्ण रहने वाली आवासीय परियोजनाओं के डेवलपरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ के साथ कर की पुरानी दरों का अनुपालन करने या बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के पांच और एक प्रतिशत के नए कर दर वाले ढांचे में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा.

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जीएसटी परिषद ने 24 फरवरी की पिछली बैठक में किफायदी दर के निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर को घटा कर एक प्रतिशत और अन्य श्रेणी के मकानों पर कर की दर कम कर पांच प्रतिशत कर दी गयी. नयी दरें एक अप्रैल से लागू होंगी.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव एबी पांडे ने समिति की 34वीं बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि जीएसटी परिषद ने आवासीय रीयल एस्टेट परियोजनाओं के लिए नए कर ढांचे की अनुपालन योजना को मंजूरी दे दी है. इसे एक अप्रैल से लागू किया जाना है. बिल्डरों को बस अपना विकल्प चुनना है.

 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर के आवास विकास के कारोबार में लगी कंपनियों को नए कर ढांचे के अनुपालन के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा. यह 15 दिन से लेकर एक महीने तक हो सकता है. पांडे ने कहा कि इस निर्णय से बिल्डरों को अपने खाली पड़े गैर-बिके मकानों की बिक्री तेज करने में मदद मिलेगी.