दुनिया में फिर बजा भारत का डंका, ग्रोथ की रफ्तार घटी-फिर भी चीन को छोड़ा पीछे
आम चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी मंद पड़ी है. आर्थिक वृद्धि दर और बुनियादी उद्योग की बढ़ोतरी के ताजा आंकड़ों से यह संकेत मिलता है.
आम चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी मंद पड़ी है. आर्थिक वृद्धि दर और बुनियादी उद्योग की बढ़ोतरी के ताजा आंकड़ों से यह संकेत मिलता है. 31 मार्च को खत्म हो रहे चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर के पहले के 7.2 प्रतिशत से घटकर 7 प्रतिशत रहने का नया अनुमान लगाया गया है. आर्थिक वृद्धि का संशोधित अनुमान यानी 7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान यदि सही साबित होता है तो यह पिछले 5 साल की सबसे कम वृद्धि दर होगी.
कृषि और विनिर्माण क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन और उपभोक्ता मांग नरम पड़ने से तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही है. यह पिछली 5 तिमाही में सबसे कम है. हालांकि, तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ने के बावजूद भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर दिसंबर में समाप्त तिमाही में 6.4 प्रतिशत रही.
तीसरी तिमाही की वृद्धि दर इससे पिछली तिमाही के संशोधित अनुमान 7 प्रतिशत तथा अप्रैल-जून तिमाही में 8 प्रतिशत के अनुमान से कम है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता व्यय दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत रहा जो पिछली तिमाही में 9.9 प्रतिशत था. कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में कम होकर 2.7 प्रतिशत रही जो दूसरी और पहली तिमाही में क्रमश: 4.2 प्रतिशत तथा 4.6 प्रतिशत रही.
वहीं दूसरी तरफ रिफाइनरी उत्पादों तथा बिजली उत्पादन में कमी से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जनवरी 2019 में कम होकर 19 महीने के न्यूनतम स्तर 1.8 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2018 में 2.7 प्रतिशत थी. वहीं पिछले साल के जनवरी महीने में यह 6.2 प्रतिशत थी.
बिजली क्षेत्र में जनवरी महीने में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आयी जो 71 महीने में सबसे कम है. फरवरी 2013 के बाद क्षेत्र में गिरावट हुई है. इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र कुमार पंत ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार 2018-19 में 190.54 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. पूर्व में इसके 188.41 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया था. इससे सरकार को 2018-19 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक राजकोषीय घाटा इसके तय लक्ष्य का 121.5 प्रतिशत तक पहुंच गया.
उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान बताता है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ हल्की हो रही है... चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल होने पर 2018-19 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत हो पाएगी.’’
सीएसओ के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत, विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि व्यापार, होटल तथा परिवहन क्षेत्र की वृद्धि दर कम होकर 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना है.
बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर के बारे में पंत ने कहा, ‘‘अक्टूबर महीने से बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर में गिरावट औद्योगिक गतिविधियों में कमजोर रुख तथा दूसरी छमाही में सुस्त आर्थिक वृद्धि का संकेत देता है. जनवरी 2019 में औद्योगिक वृद्धि दर में कमी की आशंका थी.’’