वैश्विक अनिश्चितताओं और करेंसी में जारी उतार-चढ़ाव का असर, मौजूदा फॉरेन ट्रेड पॉलिसी ही रहेगी जारी
EPCs, इंडस्ट्री, इंडिविजुअल्स से कई तरह के आग्रह सरकार ने मौजूदा पॉलिसी को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक पॉलिसी में बदलाव का यह सही समय नहीं है.
सरकार ने मौजूदा फॉरेन ट्रेड पॉलिसी (FTP) 2015-2020 को जारी रखने का फैसला लिया है. नई पॉलिसी के लिए सरकार थोड़ा और इंतजार करेगी. इससे पहले चालू महीने के अंत तक पॉलिसी में बदलाव की योजना थी, लेकिन करेंसी में जारी उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते इसे आगे के लिए टाल दिया गया है. FTP में बदलाव अब मार्च 2023 में हो सकता है.
फॉरेन ट्रेड पॉलिसी को 6 महीने के लिए टाला
EPCs, इंडस्ट्री, इंडिविजुअल्स से कई तरह के आग्रह सरकार ने मौजूदा पॉलिसी को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक पॉलिसी में बदलाव का यह सही समय नहीं है. इसे 6 महीने के लिए टाल दिया गया है. क्योंकि वैश्विक हालात अनुकूल नहीं हैं. इसके अलावा डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है. ऐसे में सरकार नई पॉलिसी के लिए थोड़ा और इंतजार करेगी. बता दें कि मौजूदा फॉरेन ट्रे़ड पॉलिसी 30 सितंबर को समाप्त हो रही है.
वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते लिया फैसला
मौजूदा समय में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का भय है. प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिकी और यूरोप की इकोनॉमी शामिल हैं. ऐसे में इन देशों के निवेशकों में डर का माहौल है. नतीजतन, FIIs भारतीय शेयर बाजार से रकम निकाल रहे हैं. इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध से महंगाई और ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इससे भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. दूसरी ओर अमेरिकी करेंसी 22 साल की ऊंचाई पर ट्रेड कर रहा है.
पॉलिसी से नए रोजगार पैदा होते हैं
बता दें कि फॉरेट ट्रेड पॉलिसी गुड्स एंड सर्विसेस सेक्टर का एक्सपोर्ट बढ़ाने का फ्रेमवर्क तैयार करता है. इससे नए रोजगार पैदा होते हैं. साथ ही देश के लिए वैल्यू एडिशन होता है. ट्रेड पॉलिसी का फोकस मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेस सेक्टर दोनों को सपोर्ट करने पर होता है. ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में भी सुधार होता है. अप्रैल से अगस्त 2022 के दौरान मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 192.59 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल के समान अवधि से 17 फीसदी ज्यादा है. वहीं इंपोर्ट के आंकड़ों में भी सुधार देखने को मिला. FY23 के पहले 5 महीने में इंपोर्ट 45.64 फीसदी बढ़कर 317.81 अरब डॉलर हो गया.