पीएम नरेंद्र द्वारा नोटबंदी किए छह साल से ज्यादा वक्त बीत गया है. हालांकि, विपक्ष इस मुद्दे को अभी भी उठाता है. सरकार ने अब संसद में बताया है कि नोटबंदी के बाद आयकर के संग्रह में 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा खुद से कर भुगतान पर बड़ा प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा सरकार ने कहा है कि नोटबंदी ने सरकार को अपराधियों द्वारा रखे गए बेहिसाब धन का पता लगाने में मदद की है. वहीं, सदन में काले धन के संबंध में दिए जवाब में सरकार ने कहा कि देश में काले धन की मात्रा को मापने के लिए कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. 

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900 करोड़ रुपए की जब्ती

लोकसभा में सांसद राजीव रंजन 'ललन' और दिनेश चंद्र यादव के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 की अवधि के दौरान, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 900 समूहों में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की है. इसमें ₹ 900 करोड़ की जब्ती हुई है, जिसमें ₹ 636 करोड की नकदी और लगभग ₹7,961 करोड़ की अघोषित आय की स्वीकृति शामिल है. वित्तिय वर्ष 2017-18 के दौरान आयकर विभाग के पास दर्ज आयकर रिटर्न (आईटीअर) की संख्या में 25 फीसदी की बढ़तोरी हुई है. यह पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा दर थी.   

बेहिसाब धन का पता लगाने में मदद

वित्त राज्य मंत्री ने अपने जवाब में आगे कहा, नोटबंदी ने सरकार को अपराधियों द्वारा बेहिसाब धन का पता लगाने में मदद की है. इसका खुलासा पीएमएलए 2002 और फेमा 1999 के तहत ईडी द्वारा मामलों की जांच के दौरान किया गया था. पीएमएलए के तहत आठ मामलों में जांच शुरू की गई है. इनमें 107 लोगों को बेहिसाब धन बनाने या फिर अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में शामिल पाया गया. इन मामलों में 191.68 करोड़ रुपए की कुर्की की गई है. पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. फेमा के तहत 19 व्यक्तियों के खिलाफ 10 मामलों में जांच शुरू की गई. इसमें 2.99 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं.

लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि साल 2017-18 के दौरान कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा रिटर्न की संख्या में 17.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. ये 2016-17, 2015-16 से पांच गुना ज्यादा है.