नई दिल्ली: खाद्य तेलों की जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए सरकार 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की एक योजना की घोषणा कर सकती है, जिसके तहत यदि फसल के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरते हैं, तो किसानों को हुए नुकसान की भरपाई सरकार करेगी. सूत्रों ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने इसके लिए एक कैबिनेट नोट तैयार किया है, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार की भावान्तर भुगतान योजना (बीबीवाई) की तर्ज पर एक नई 'मूल्य न्यूनता भुगतान' प्रणाली का प्रस्ताव है. नई व्यवस्था का मकसद तिलहन किसानों के हितों की सुरक्षा करना है.

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मिलेगी वाजिब कीमत 

प्रस्तावित योजना के तहत सरकार सरकार एमएसपी और प्रमुख थोक बाजारों में तिलहन की औसत मासिक कीमत के अंतर का भुगतान करेगी. यानी थोक बाजारों में तिलहन की कीमत एमएसपी से जितना कम होगी, उस अंतर का भुगतान सरकार करेगी. इस तरह किसानों को एमएसपी के बराबर कीमत मिलनी सुनिश्चित की जाएगी. 

भारत हर साल करीब 1.5 करोड़ टन खाद्य तेल आयात करता है, जो देश की कुल घरेलू मांग का करीब 70 प्रतिशत है. इस साल के बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि वो इस बात का पक्का इंतजाम करेगी कि किसानों को एमएसपी हासिल हो. इसके लिए राज्यों के साथ ही थिंक-टैंक से सुझाव मांगे गए. सूत्रों ने बताया कि इन सिफारियों के आधार पर मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया है, जिसमें केवल तिलहन के लिए मूल्य न्यूनता भुगतान को लागू करने का प्रस्ताव है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)