Unlisted companies: सरकार द्वारा गठित एक समिति अन-लिस्टेड कंपनियों (Unlisted companies) के लिए अधिक सख्त रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की संभावना पर विचार कर सकती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. लिस्टेड कंपनियों के लिए खुलासा जरूरतों सहित एक सख्त रेगुलेटरी फ्रेमवर्क है, हालांकि अन-लिस्टेड कंपनियों के मामले में मानदंड अभी उतने कड़े नहीं हैं.

बड़े स्टार्टअप के लिए बन सकते हैं सख्त नियम

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मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी विधि समिति (CLC) अन-लिस्टेड कंपनियों, खासकर बड़ी कंपनियों और बड़े स्टार्टअप के लिए अधिक सख्त नियम बनाने की संभावना पर चर्चा कर सकती है. 

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अधिकारी ने बताया कि कॉरपोरेट के काम करने के तौर-तरीके से संबंधित समेत अलग-अलग नियामक पहलुओं पर समिति द्वारा गौर किए जाने की उम्मीद है. साथ ही, यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया जाएगा कि रेगुलेटरी बोझ बहुत अधिक न हो और कारोबार में सुगमता को बढ़ावा मिले.

हाल ही में, कुछ स्टार्टअप और अन्य अन-लिस्टेड यूनिट्स में कामकाज के तौर-तरीकों और फंडिंग के मुद्दों को लेकर चिंताएं सामने आई हैं. कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय कंपनी अधिनियम, 2013 को लागू कर रहा है, जिसके तहत अन-लिस्टेड कंपनियों के लिए और अधिक सख्त नियम पेश किए जा सकते हैं. सीएलसी (CLC) की स्थापना सितंबर 2019 में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई थी.

 

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