सरकार वाहन उद्योग की मदद के इरादे से नई नीति लेकर आयी है. इसके तहत संगठन और शोधकर्ता सालाना आधार पर वाहन पंजीकरण से संबंधित थोक आंकड़े खरीद सकते हैं. सरकार द्वारा मंजूर नीति के अनुसार पात्र निकाय अगले वित्त वर्ष से निर्धारित राशि देकर आंकड़े खरीद सकते हैं और उन्हें आंकड़ों की चोरी तथा उसके हस्तांतरण रोकने के लिये कड़े सुरक्षा कदम उठाने की जरूरत होगी.

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नियमों का उल्लंघन करने पर आईटी कानून और अन्य संबंधित कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ऐसी एजेंसियों पर इस आंकड़े तक पहुंच को लेकर तीन साल की अवधि के लिये पाबंदी होगी. इस महीने की शुरूआत में जारी ‘थोक आंकड़ा साझा नीति एवं प्रक्रिया’ के तहत नियंत्रित तरीके से पंजीकरण आंकड़ साझा करने से परिवहन एवं वाहन उद्योग को मदद मिल सकती है.

नीति में कहा गया है, ‘‘आंकड़ा साझा करने से सेवा सुधार में भी मदद मिलेगी और नागरिकों तथा सरकार को लाभ होगा...इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा.’’ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र तथा ड्राइवर लाइसेंस से जुड़े आंकड़े रखता है. 

मंत्रालय फिलहाल पूरा आंकड़ा प्रवर्तकन एजेंसियों जैसे विशेषीकृत एजेंसियों के साथ ही साझा करता है. इसके अलावा वाहन उद्योग, बैंक, फाइनेंस कंपनियों आदि के साथ भी विशेष शुल्क लेकर साझा किया जाता है. ये आंकड़े प्राप्त करने के लिये जो संगठन अनुरोध करेंगे, उनका पंजीकरण भारत में होना चाहिए तथा कम-से-कम 50 प्रतिशत मालिकाना हक भारतीय या भारतीय कंपनी के पास हो. 

नीति में कहा गया है, ‘‘जो वाणिज्यिक संगठन तथा व्यक्ति थोक आंकड़े चाहते हैं, उन्हें 2019-20 के लिये 3 करोड़ रुपये देने होंगे. वहीं शिक्षण संस्थान केवल शोध मकसद से आंकड़े का उपयोग कर सकते हैं और उन्हें इसके लिये केवल 5 लाख रुपये देने होंगे. सालाना आधार पर इसमें 2020-21 से 5 प्रतिशत की वृद्धि होगी.’’