सरकार के अनुमान से भी कम रहेगी FY25 में GDP ग्रोथ रेट! जानिए क्यों SBI ने अपनी रिपोर्ट में कही ये बात
SBI GDP Growth Estimate: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. ये सरकार के FY25 में अनुमान 6.4 फीसदी से थोड़ा कम है.
SBI GDP Growth Estimate: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. ये सरकार के FY25 में अनुमान 6.4 फीसदी से थोड़ा कम है. गौरतलब है कि एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने FY25 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है.
विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और कमजोर निवेश के कारण वृद्धि दर धीमी होने की बात कही गई. इसके पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है.
किस रफ्तार से भागेगी इंडियन इकोनॉमी?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट Ecowrap के मुताबिक, RBI और NSO के अनुमानों के बीच का अंतर हमेशा ही 0.20-0.30 प्रतिशत की सीमा में रहता आया है. लिहाजा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.4 प्रतिशत का अनुमान अपेक्षित और उचित है. रिपोर्ट कहती है, हालांकि, हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर नीचे की ओर झुकाव के साथ लगभग 6.3 प्रतिशत रह सकती है.
SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तविक GDP वृद्धि में सुस्ती और मौजूदा कीमतों पर GDP के आकार में बढ़ोतरी लगभग स्थिर रहने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में बाजार मूल्य पर प्रति व्यक्ति GDP में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है.
इकोनॉमी में क्या है पॉजिटिव
रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद का पहला अग्रिम अनुमान सामान्य रूप से 2024-25 में समग्र मांग में सुस्ती को दर्शाता है. हालांकि, सकारात्मक योगदान देने वाले घटकों में सरकारी खपत शामिल है, जिसमें मौजूदा कीमतों के संदर्भ में 8.5 प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 4.1 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है. निर्यात ने भी आठ प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 5.9 प्रतिशत) की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है.
किन फैक्टर्स ने बढ़ाई चिंता
SBI के रिसर्च में कहा गया है कि मांग का चिंताजनक पहलू सकल पूंजी निर्माण में सुस्ती है, जिसमें पूंजी निर्माण में वृद्धि 2.70 प्रतिशत घटकर 7.2 प्रतिशत रह गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, "कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मांग कमजोर बनी हुई है और वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत का आंकड़ा एक बाहरी सीमा है. वास्तविक वृद्धि निश्चित रूप से अनुमानित आंकड़े से कम है."
राजकोषीय घाटे को लेकर कही ये बात
रिपोर्ट कहती है कि नवंबर, 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 8.5 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 52.5 प्रतिशत था. हालांकि, संशोधित जीडीपी आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, यदि बजट अनुमान के अनुरूप कर प्राप्तियां बढ़ीं, कम पूंजीगत व्यय के कारण सरकारी व्यय कम हुआ, तो चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहेगा.
हालांकि, यदि सरकार 16.1 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहती है तो संशोधित जीडीपी आंकड़ों के लिहाज से राजकोषीय घाटा पांच प्रतिशत पर रहेगा. केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है.