महंगाई ने फिर डराया! वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट ने सरकार और RBI को चेताया; जानें क्या है अर्थव्यवस्था पर ताजा अपडेट
वित्त मंत्रालय की गुरुवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में मंत्रालय ने आगाह किया कि खाद्य मुद्रास्फीति में हालिया वृद्धि से संकेत मिलता है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सतर्क रुख अपनाना चाहिए.
Food Inflation: गुरुवार को जारी वित्त मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है कि जून तिमाही में घरेलू विनिर्माण उत्पादन में सुधार को इनपुट कीमतों में गिरावट और मजबूत आंतरिक मांग से मदद मिली. मंत्रालय ने आगाह किया कि खाद्य मुद्रास्फीति में हालिया वृद्धि से संकेत मिलता है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सतर्क रुख अपनाना चाहिए. वित्त मंत्रालय की गुरुवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, "मौसम संबंधी व्यवधानों के कारण फलों, सब्जियों और दालों और उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से सीपीआई-खाद्य मुद्रास्फीति (CPI food inflation) मई में 3 प्रतिशत से बढ़कर जून में 4.5 प्रतिशत हो गई, जो आरबीआई और सरकार द्वारा सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है."
अर्थव्यवस्था के लिए कहां से आ रहे हैं अच्छे संकेत?
सकारात्मक पक्ष पर दस्तावेज़ में कहा गया है कि विकास के मामले में, देश की घरेलू बुनियाद मजबूत बनी हुई है और राजकोषीय प्रदर्शन में सुधार के साथ-साथ विनिर्माण और सेवाओं में निरंतर विस्तार, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा जोरदार पूंजीगत व्यय के साथ मिलकर अच्छे समर्थन का संकेत मिलता है. हालांकि, भारत को प्रतिकूल विकास के प्रति सचेत रहने की जरूरत है, जो विकास पथ में बाधा उत्पन्न कर सकता है.
अच्छी मानसूनी बारिश, विनिर्माण क्षेत्र में सतत विस्तार और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों का बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय करना चालू वित्त वर्ष में व्यापक आर्थिक स्थिरता और वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है. रिपोर्ट में यह भह कहा गया है कि विदेशों से आने वाले प्रभाव और प्रतिकूल वैश्विक घटनाक्रम चालू वित्त वर्ष में कभी भी संभावित उच्च वृद्धि-पथ की राह में बाधा बन सकते हैं.
वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक सर्वेक्षण के जून संस्करण में कहा गया है कि हाल के वर्षों में पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर के साथ प्रमुख बुनियादी ढांचे में निवेश पर काफी बल दिया गया है. इससे निजी क्षेत्र भी रोजगार सृजन, आय, उत्पादकता, मांग और निर्यात के अनुकूल चक्र का हिस्सा बना है. रिपोर्ट कहती है कि मुद्रास्फीति दबाव कम होने से निजी खपत में भी सुधार होने की उम्मीद है. हाल के महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी देखी गई है. थोक मुद्रास्फीति में कमी का प्रभाव खुदरा महंगाई पर दिख रहा है.
आगे कहां हैं उम्मीदें?
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिकूल वैश्विक घटनाक्रम के बावजूद सेवा निर्यात में मजबूत प्रदर्शन के कारण भारत का निर्यात में भी प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि बढ़ते डिजिटलीकरण अभियान, घर से काम करने की बढ़ती प्राथमिकता और वैश्विक क्षमता केंद्रों के बढ़ते प्रसार से भारत के सेवा निर्यात में और वृद्धि होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट कहती है, "भारत में मानसून के बेहतर रहने, ठोस राजकोषीय प्रदर्शन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में निरंतर विस्तार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों द्वारा जोरदार पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की व्यापक आर्थिक स्थिरता और वृद्धि के लिए काफी अच्छा संकेत है. लेकिन ऐसी स्थिरता और वृद्धि के लिए लगातार नीतिगत सतर्कता रखनी होती है."
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