Urban Infra: वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने और फाइनेंसिंग गैप को कम करने की जरूरत पर जोर दिया. वित्त मंत्री ने ‘G20 इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट डायलॉग’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रमुख बाजारों में मौद्रिक नीति (Monetary Policy) सख्त होने के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर के फंडिंग के संबंध में हालात और भी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं. सख्त मौद्रिक नीति के कारण ब्याज दरें बढ़ जाती हैं और लोन चुकाने का बोझ बढ़ जाता है.

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उन्होंने कहा, शहरों के लिए नए फाइनेंसिंग और फंडिंग सिस्टम में इस अंतर को पूरा करने की महत्वपूर्ण क्षमता हो सकती है. उन्होंने कहा, यह मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक (MDBs) द्वारा दिए जाने वाले सार्वजनिक निवेश और फाइनेंसिंग के अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड उपलब्ध करा सकता है.

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वैकल्पिक समाधान की जरूरत

सीतारमण ने कहा, हमें इस संदर्भ में निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ उठाने के लिए वैकल्पिक समाधान की जरूरत है. मंत्री ने उचित नीति और नियामक ढांचे के जरिए शहरी स्थानीय निकायों की साख में सुधार के लिए एक इकोसिस्टम विकसित करने की बात भी कही.

सीतारमण ने कहा, दुनिया की 55% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है, जिसके 2050 तक बढ़कर 68% होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस बढ़ोतरी को समायोजित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी.

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वित्त मंत्री ने कहा कि GIFT इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) को विश्वसनीय व्यापार नियमों, व्यापार करने में आसानी पर ध्यान देने के साथ प्रतिस्पर्धी कर संरचना के साथ एक विशेष अंतरराष्ट्रीय वित्तीय क्षेत्राधिकार के रूप में नामित किया गया है.

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